पतंजलि वाले बाबा रामदेव ने शायद कभी सोचा नहीं होगा कि लम्बी लम्बी छोड़ना उनके लिए परेशानियों का कारण भी बन सकता है। उनके राजनीतिक बयान तो छोड़ने वाले रहते ही थे मगर जब उनकी कंपनी पतंजलि ने अपने प्रोडक्ट की बड़ाई करने में सारी हदें पार कर दीं, यहाँ तक कि अपना माल बेचने के चक्कर में वो दूसरों के माल को खराब भी बताने लगे, बस यहीं से मामला गड़बड़ हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उसके लिए चेताया भी, समझाया भी लेकिन बाबा और उनका बिजनेस वाला दिमाग़ कहाँ मानने वाला था, वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और निर्देशों को भी हवा में उड़ाने लगे और यही वजह है कि भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट उन्हें कोई भी राहत देने को तैयार नहीं और उनका माफ़ी नामा भी ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि गलती की है तो सजा भी भुगतनी पड़ेगी। शीर्ष अदालत कोई भी दलील सुनने को तैयार नहीं हैं. अदालत का मानना है कि बाबा रामदेव और उनकी पतंजलि ने जानबूझकर अदालत के आदेशों की अवमानना की है।
आज बाब रामदेव और उनके चेले आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में हाथ बांधे हुए हाज़िर हुए और एकबार फिर उनके वकील मुकुल रोहतगी ने माफ़ी की गुहार लगाई और कहा कि गलती हो गयी, गलती इंसानों से ही होती है जिसपर सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि जब गलती की जाती है तो उसकी सजा भी दी जाती है इसलिए सजा के लिए तैयार रहिये।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हलफनामे में छेड़छाड़ की गयी है, हम अंधे नहीं हैं. हम इस मामले में उदार नहीं हो सकते. बेंच ने कहा कि कानून का मज़ाक बन रहा है और कार्रवाई करने वाले चुप बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आयुष मंत्रालय पर भी सख्त टिप्पणी करते हुए कि आखिर आपने हलफनामे में क्या कहा है? सर्वोच्च अदालत का मजाक बन गया है. सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर के कंडक्ट पर भी नाराजगी जताई। बेंच ने सरकार से पूछा कि ड्रग कंट्रोलर और लाइसेंसिंग अधिकारीयों की जिम्मेदारी क्या है? कर्तव्य में लापरवाही बरतने के लिए इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कड़ी कार्रवाई के लिए आरोपी तैयार रहें। मामले की अगली सुनवाई अब 10 अप्रैल को होगी।