देश में इन दिनों मस्जिदों, मज़ारों और दरगाहों को मंदिर साबित करने की होड़ मची हुई है। वाराणसी की ज्ञानवापी, मथुरा की ईदगाह, आगरा का ताजमहल, दिल्ली की जामा मस्जिद, कर्णाटक की टीपू मस्जिद, दिल्ली का कुतुबमीनार और अब अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह जिनके देश और विदेश में हर धर्म समुदाय के लोग मानने वाले हैं और अपनी मुरादें मांगने आते हैं शायद इसीलिए उन्हें सुल्ताने हिन्द कहा जाता है, अब दक्षिणपंथियों की निगाह इस दरगाह पर है और दावा है कि मंदिर को तोड़कर ख्वाजा अजमेरी की दरगाह को बनाया गया है उसे हिन्दुओं को सौंपा जाय।
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दरअसल महाराणा प्रताप सेना नाम के एक संगठन ने दावा किया है कि अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में कई जगह स्वास्तिक के निशान वाली जालियां लगी हैं, संगठन के मुताबिक ASI दरगाह की खुदाई करके जांच करे तो यहाँ शिव मंदिर के अवशेष मिलेंगे। महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यवर्धन परमार के मुताबिक पहले यह शिव मंदिर था जिसे दरगाह बना दिया गया है।
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परमार ने इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर ASI से इसकी जांच करवाने को कहा है, परमार का कहना है कि दरगाह में स्वस्तिक का क्या काम? परमार ने साथ ही केंद्र सरकार से इस मामले की जांच करने का अनुरोध किया है. परमार ने इसके साथ ही वार्निग भी दी है कि अगर इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं की गयी तो संगठन के दो हज़ार कार्यकर्त्ता अजमेर जाकर इस मामले को ज़ोरदार ढंग से उठाएंगे और एक बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे।