नई दिल्ली। मार्च में निर्यात में 13.9% की गिरावट आई। यह लगातार चौथ महीना है जबकि इसमें गिरावट आई है। जबकि एक साल पहले की तुलना में इसमें 7.90% गिर गया। क्रय प्रबंधकों के सर्वेक्षणों से पता चला है कि कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ने से आपूर्ति श्रृंखलाओं का दबाव कम होने से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधि में सुधार हुआ है।
भारत की आर्थिक गतिविधि मार्च में लचीली रही, हालांकि निर्यात की कमजोर गति और बेरोजगारी में वृद्धि ने देश के लिए विकास के अनुमानों को घटा दिया है। अर्थव्यवस्था के कई मानक इस बात के संकेत दे रहे हैं कि भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ रही थी। ब्लूमबर्ग की ओर से संकलित आठ उच्च आवृत्ति संकेतकों वाले समग्र गतिविधि ट्रैकर इस बात की पुष्टि करता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने मई के बाद पहली बार ब्याज दरों में 250 बेसिस अंकों की वृद्धि के प्रभाव का आकलन करने के लिए ब्याज दरों को स्थिति रखने का फैसला किया है। खुदरा और थोक महंगाई में भी महीनों बाद कमी दर्ज की गई है। पिछले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कोशिश कर रही है कि अर्थव्यवस्था में तेजी बनी रहे, हालांकि उन्होंने ओपेक+ उत्पादन में कटौती और यूक्रेन में रूस के युद्ध से जुड़े प्रभाव पर चिंता भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि भारत में निर्मित वस्तुओं और सेवाओं की मांग में कमजोरी भारत के आर्थिक विकास पर दबाव बना सकता है।
व्यावसायिक गतिविधि के आपूर्ति में दबाव
क्रय प्रबंधकों के सर्वेक्षणों से पता चला है कि कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ने से आपूर्ति पर दबाव कम होने से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधि में सुधार हुआ है। भारतीय सेवा क्षेत्र की गतिविधियां मार्च में 12 साल के उच्चतम स्तर से घटीं हैं, जिससे कंपोजिट सूचकांक फरवरी के 59 से घटकर 58.4 पर आ गया। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, “सेवा कंपनियों के एक बड़े हिस्से ने बढ़ती लागत से बचाव के लिए अपनी बिक्री की कीमतों में वृद्धि की है।
निर्यात में आई गिरावट
मार्च में निर्यात में 13.9% की गिरावट आई। लगातार चौथे महीने इसमें गिरावट आई जबकि एक साल पहले की तुलना में इसमें 7.90% गिर गया। बार्कलेज पीएलसी के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, “धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था से आने वाली चुनौतियों का निर्यात पर और ज्यादा असर पड़ना शुरू हो गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में एक साल पहले की तुलना में मार्च में 57% की वृद्धि हुई है क्योंकि प्रमुख मोबाइल उपकरण निर्माता चाइना प्लस वन की रणनीति के साथ भारत में उत्पादन इकाइयां स्थापित कर रहे हैं।” एपल अब भारत में अपने लगभग 7% आईफोन का उत्पादन करता है और अपनी खुदरा बिक्री को बढ़ावा देने के लिए उसने इसी सप्ताह मुंबई और दिल्ली में अपने स्टोर खोले हैं।