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यूपी चुनाव 2022: पहले चरण के मतदान से पहले हिजाब पर हो रहा ध्रुवीकरण का अंतिम प्रयास?

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यूपी चुनाव 2022: पहले चरण के मतदान से पहले हिजाब पर हो रहा ध्रुवीकरण का अंतिम प्रयास?

By: Dheeraj Upadhyay

लखनऊ: यूपी चुनाव के पहले दौर से ठीक पहले क्या उत्तर प्रदेश चुनाव में ध्रुवीकरण (polarisation) का आखरी दांव आजमाया जा रहा है। जानकार और विश्लेषक यह पूछ रहे है कि क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू होने वाले पहले चरण के मतदान को प्रभावित करने के लिए ही हिजाब (hizab) की इंट्री यूपी में हुई है।

यूपी चुनाव के प्रथम चरण के ठीक पहले कर्नाटक के उडुपी (Udipi) से शुरू हुआ हिजाब विवाद का असर यूपी चुनावों में दिख रहा है। हालांकि दोनों चीजों को एक दूसरे से जोड़कर देखना थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन जिस तरह से इस पूरे विवाद का विडिओ वायरल और ट्रेंड हो रहा है उससे यही प्रतीत हो रहा है। 

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इस विवाद के अंतर्गत एक विडियो में जिस तरह से एक मुस्लिम लड़की को कुछ भगवाधारी लड़के घेरे हुए बहुत साफ और स्पष्ट दिख रहे है उससे इसके पूर्वनियोजित होने का संदेह उत्पन्न हो रहा है। वहीं, जिस तरह यह विडियो सोशल मीडिया प्लाटफॉर्म्स पर ट्रेंड हो रहा है या कराया जा रहा है उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि ‘दाल में कुछ काला है’ क्योंकि गूगल में मात्र यूपी सर्च करने पर भी आज ‘हिजाब ट्रेंड’ कर रहा है।

बतादे कि वोटिंग से ठीक एक दिन पहले बुधवार को सुबह गूगल google सर्च में हिजाब विवाद सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा था। यहाँ तक की यूपी सर्च करने पर भी हिजाब विवाद दिख रहा था और यूपी तीसरे नंबर पर आ गया था।

हिजाब विवाद का तार यूपी चुनाव से जोड़ाकर यू ही नहीं देखा जा रहा है क्योंकि पश्चिमी यूपी से शुरु होने वाले प्रथम चरण में 58 सीटें आती है और इनमें करीब 27% मुस्लिम, 25% दलित, 17% जाट, 8 फीसदी राजपूत और लगभग 7 फीसदी यादव अपना प्रभाव रखते है। वहीं इस क्षेत्र में सपा-रालोद गठबंधन और किसान आंदोलन से वर्तमान सरकार को नुकसान होता भी दिखा रहा है।

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वहीं इस विवाद में पाकिस्तान की नोबेल प्राइज़ विजेता मलाला युसफजई Malala के कूद पड़ने और उसके बाद यूएई की प्रिंसेस के बयान ने भी इसमे आग में घी डालने का काम किया है। वहीं उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार में लगे नेताओं ने भी इस विवाद को अपने बयानों से तूल देने का काम किया है। आज लखनऊ में कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते समय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी हिजाब विवाद में उलझ गईं। उन्होंने इस विषय पर ट्वीट किया और एक पत्रकार के जवाब देते हुए कह दिया कि ‘हिजाब पहनने का अधिकार संविधान में दिया गया है’।

वही आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद मुस्लिमीन (AMIM) के प्रमुख ओवैसी Owaisi भी कर्नाटक के हिजाब विवाद को यूपी चुनाव प्रचार में हवा देने से नहीं चूके उन्होने कहा कि ‘अब बीजेपी सरकार हमारी बहु-बेटियों को हिजाब पहनकर पढ़ाई भी नहीं करने देना चाहती है’।

कर्नाटक की इस घटना को सूबे के चुनावों से पहले ध्रुवीकरण के चारे के रूप में पेश किया जा रहा है और सभी दल के नेता अपने फायदे के लिए इसे हाथों-हाथ ले रहे है। हालांकि असल में 10 मार्च को ही पता चलेगा कि हिजाब विवाद का फायदा किसको हुआ।

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