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Uttarakhand BJP: उत्तराखंड भाजपा के इन नेताओं से नाराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी !

उत्तराखंडUttarakhand BJP: उत्तराखंड भाजपा के इन नेताओं से नाराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी...

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देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगाव किसी से छुपा नहीं है लेकिन उत्तराखंड मैं भाजपा नेताओं से मोदी की नाराजगी लोगों के लिए नई बात जरूर होगी जी हां महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का बीच कार्यकाल में उत्तराखंड लौटना इस बात की ओर इशारा कर रहा है।

पीएम मोदी की कृपा पाने के बाद भी उनकी उम्मीदों पर सफल ना होने वाली नेताओं की लिस्ट में उत्तराखंड की बीजेपी के कई नाम शामिल है, जो पीएम मोदी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए और उन्हें बीच रास्ते से ही घर वापस लौटना पड़ा। भगत दा महाराष्ट्र से देहरादून वापस लौट आए हैं। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में मोदी की नाराजगी चर्चा आम हो चली है। आज हम आपको उत्तराखंड बीजेपी के 4 बड़े नेताओं जिन्हें पीएम मोदी के सहयोग और आशीर्वाद के बाद भी उनकी उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाए।

निशंक को मिला मौका लेकिन नहीं हुए सफल

भगत दा के देहरादून लौटने के बाद सियासी गलियारों में पीएम मोदी की नाराजगी की चर्चा हो रही है। दरअसल भगत दा कोई पहला नाम नहीं जो पीएम मोदी का आशीर्वाद पाने के बाद भी अपना कार्यकाल पूरा ना कर पाए हो। इस लिस्ट में दूसरा नाम उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का भी है, जिन्हें 2019 में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनाया गया लेकिन 2 साल में ही उन्हें भी घर वापसी का रास्ता दिखा दिया गया।

हालांकि इसके लिए वजह उनके स्वास्थ्य कारणों को बताया गया। लेकिन हाल फिलहाल में अब हरिद्वार संसदीय सीट पर उनकी सक्रियता इस स्वास्थ्य कारणों को नकार रही है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के टॉप फाइव मिनिस्टर होने के बाद भी निशंक अपने मंत्रालय की परफॉर्मेंस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए थे। शायद यही वजह है कि उन्हें उत्तराखंड वापसी का टिकट दे दिया गया।

त्रिवेंद्र और तीरथ हुए फेल

भगत दा और 19 अंक के बाद उत्तराखंड की राजनीति में थोड़ा और पीछे जाएं तो उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस सूची में अगला नाम हो सकते हैं मोदी और अमित शाह के करीबी और विश्वसनीय होने के चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तराखंड की कमान दी गई थी।

4 साल तो उन्होंने इसी हालत में दमदार तरीके से अपना कार्यकाल चलाया लेकिन उत्तराखंड बीजेपी के लोगों और केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी ने उन्हें भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया और उन्हें भी कुर्सी छोड़नी पड़ी। त्रिवेंद्र के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तीरथ महेश 3 महीने ही सत्ता पर काबिज रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर उत्तराखंड बीजेपी के नेताओं से निराशा ही हाथ लगी।

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