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लखनऊ में नवाबी परिवार को रास नहीं आती राजनीति, आजादी के बाद महज एक परिवार ही राजनीति में आता नजर  

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लखनऊ में नवाबी परिवार को रास नहीं आती राजनीति, आजादी के बाद महज एक परिवार ही राजनीति में आता नजर  

लखनऊ :  राजनीति और बड़े घरानों का संबंध आजादी के बाद से चला आ रहा है। इसमें खासकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर राजघराने राजनीति में सक्रिय। लेकिन लखनऊ में नवाबों का परिवार इससे अछूते हैं। आजादी के 75 सालों में महज एक नवाब परिवार ही ऐसा है जो सक्रिय राजनीति में अपनी भूमिका अदा कर रहा है। पिछले तीन दशक से बुक्कल नवाब का परिवार राजनीति कर रहा है। यूं तो अवध के नवाबों का इतिहास करीब 300 साल पुराना है। यह नवाब अपने तहजीब और शान शौकत के लिए जाने जाते हैं। आजादी के बाद प्रदेश के ज्यादातर कद्दावर नेताओं के साथ इनके सीधे तालुकात रहे हैं बावजूद इसके राजनीतिक तौर पर इनकी भागीदारी बहुत कम रही है। छह दशक से  जनता के बीच में जाकर चुनाव लड़ना और प्रत्यक्ष राजनीति रहना नवाबों को पंसद नहीं है। 

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नवाब परिवार से ताल्लुक रखने वाले  नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ने बिजनेस बाइट की टीम को बताया कि लखनऊ के नवाब का राजनीति से कोई बहुत लेना देना नहीं रहा। हालांकि यहां के इतर रामपुर और बाकी जगहों पर नवाब परिवार के लोग राजनीति में सक्रिय रहे हैं। मीर अब्दुल्लाह कहते हैं कि उनके एक चाचा इस बारे में पहले ही लिख चूंके हैं, इसमें  उनका कहना है कि  नेता खुशहाल और आवाम बदहाल है। 

उनकी लिखी पंक्तियां कुछ इस तरह से है वह सुनाते हैं।

कब गुजारिश कोई लोक मय तर कर दो हमको, 

है फकत पेट की आवाज, भर दो इसको। 

नंगे भूखे हैं परेशान है किधर जाएं हम ,

ऐसे जीने से तो बेहतर है मर जाए हम 

माना अंग्रेजों ने जनता का लहू चूसा था, 

तुमने तो जिस्म के डांचो को नाकाफी रखा। 

बुक्कल नवाब के पिता ने लड़ा पहला चुनाव 

नवाब परिवार से सबसे पहला चुनाव बुक्कल नवाब के पिता दारा नवाब ने लड़ा था। उनका पूरा नाम नवाब मिर्जा मोहम्मद उर्फ  दारा नवाब था। उन्होंने बताया कि 60 के दशक में सैयद अली के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उसके बाद बुक्कल नवाब पिछले 43 साल से राजनीति में सक्रिय है। उन्होंने अपना पहला चुनाव साल 1989 में पाषर्द का लड़ा था। उस समय उनको साढ़े चार हजार वोट मिले थें। बुक्कल नवाब बताते हैं कि तब 16 हजार वोट पाकर नेता विधायक बन जाता था। अब बुक्कल नवाब के बेटे  फैसल नवाब भी सक्रिय राजनीति में है। फैसल नवाब बीजेपी की सीट से नगर निगम लखनऊ के  पार्षद है। 

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सपा में आने के साथ शुरू हुई दलगत राजनीति  

बुक्कल नवाब बताते हैं कि वह मुलायम सिंह यादव से प्रभावित होकर साल  1993 में  दलगत राजनीति में आए। सपा में उनका यह साथ करीब 24 साल तक चला।  साल 2017 में सरकार बनने के दौरान उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। बुक्कल नवाब को साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने एमएलसी बनाया। वह मुलायम सिंह यादव के बहुत करीब थे। 

अखिलेश को ही घर बुला लिया 

नवाब परिवार आर्थिक तौर पर जैसा हो लेकिन उसका सामाजिक रसूख आज भी है। नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह एक किस्सा बताते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी एक मुलाकत रोजा इफ्तार पर राजभवन में हुई थी। उस दौरान उन्होंने तात्कालिन राज्यपाल को कुछ इरान की अशरफियां दी थी। सीएम  अखिलेश यादव ने भी उनसे आर्शीवादमें उसको मांगा। जवाब देते हुए मीर अब्दुल्लाह ने कहा कि हम मिलते ही ऐसे कार्यक्रम हैं, जहां दूसरे का कार्यक्रम होता है। ऐसे में अखिलेश ने मिलने के लिए उनको  अपने आवास पर बुलाया। लेकिन अब्दुल्लाह ने कहा कि हमारे यहां क्यों नहीं हम मिल सकते हैं।

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