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भतीजे से माया का मोह भंग

आर्टिकल/इंटरव्यूभतीजे से माया का मोह भंग

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अमित बिश्नोई
बहन कुमारी मायावती ने बड़े ही मनोभाव से अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक वारिस घोषित किया था, पहली बार चुनाव में उन्हें कोऑर्डिनेटर बनाकर लोकसभा चुनाव की ज़िम्मेदारी सौंपी थी. भतीजे से बड़ी उम्मीदें थी लेकिन सिर्फ दूसरी चुनावी रैली में ही ये सारी उम्मीदें मिटटी में मिल गयीं और फिर सामने आकर मायावती को कहना पड़ा कि आकाश आनंद अभी राजनीतिक वारिस बनने के लायक नहीं हुए हैं, यही नहीं, सजा के तौर पर उन्हें पार्टी के सभी पदों से भी हटा दिया और ये सब हुआ जोश में होश खो देने की वजह से जिसकी वजह से आकाश आनंद का राजनीतिक कैरियर शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गया, या ये कह सकते हैं कि बुआ ने कुछ समय के लिए भतीजे को घर में बंद कर दिया है, ये कह कर कि अभी तुम अकेले बाहर जाने के लायक नहीं हुए हो.

मामला सीतापुर की चुनावी जनसभा से शुरू हुआ जहाँ आकाश आनंद चुनावी भाषण दे रहे थे, काफी जोश में दिख रहे थे, अभी बहुत युवा हैं और इस उम्र के अन्य युवाओं की तरह वो भी अतिउत्साह में दिखाई दे रहे थे, और जैसा कि इस उम्र के युवा अतिउत्साह में बड़ी बड़ी बातें करते हैं ठीक उसी तरह आकाश आनंद भी कर रहे थे, अब मामला चुनावी था तो भाषण भी चुनावी जोश वाला था जिसमें होश खोता हुआ नज़र आ रहा था. इसी जोश में होश खोते हुए भतीजे साहब ने भाजपा सरकार को तालिबानी सरकार बता डाला, आतंकियों की सरकार बता डाला। हालाँकि उन्हें एहसास था कि उन्होंने जो कहा है उसका खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ सकता है, चुनाव आयोग उनपर कार्रवाई कर सकता है फिर वो अपनी बात पर अड़े रहे और कहा कि अगर चुनाव आयोग यहाँ आकर ज़मीनी हकीकत देखेगा तो वो उसे पता चलेगा कि मैं जो कह रहा हूँ वो सही है.

आकाश आनंद ने अपने इस चुनावी भाषण में भाजपा सरकारों पर जो भी आरोप लगाए उनमें सच्चाई थी, उनका ये कहना कि ऐसी सरकार जो रोज़गार नहीं देती , जो पढ़ने नहीं देती , उसे सत्ता में आने का कोई हक़ नहीं, बिलकुल सही बात कही जा सकती है, यहाँ तक मामला जोश का दिखाई दे रहा है लेकिन जब वो आगे कहते हैं कि अब जूता निकालने का समय आ गया है, जब ये लोग वोट मांगने आये तो इन्हें आप लोग जूता मारिएगा, यहीं से उनका मामला ख़राब हो गया। फिर वो आगे कहते हैं यूपी में बुलडोज़र सरकार नहीं आतंकवादियों की सरकार है. 28 अप्रैल की इस सभा में आकाश कहते हैं कि आप जानते हैं कि ऐसा शासनकाल कहाँ होता है जहाँ बच्चे भूखे रहें, जहाँ बहन -बेटियों पर अत्याचार हो, जहाँ युवा बेरोज़गार हो, जहाँ जनता फ्री राशन के नाम पर गुलाम बना दी जाय , ऐसी सरकार आतंकवादियों की सरकार होती है, ऐसे सरकार तालिबान अफ़ग़ानिस्तान में चलाता है. भाजपा सरकार ने अवाम को गुलाम बनाकर रखा है, ऐसी सरकार के ख़त्म होने का अब समय आ गया है. अब सत्ताधारी पार्टी के लिए जब इस तरह की बातें कही जाएँगी तो कार्रवाई होनी भी लाज़मी थी, चुनाव आयोग का नोटिस तो मिला ही, उनके खिलाफ सीतापुर में FIR भी दर्ज हो गयी. हालाँकि चुनावी सभा में मौजूद लोगों को आकाश आनंद का ये एंग्री यंगमैन रूप काफी पसंद आ रहा था, नगीना में भी उन्होंने लगभग इसी अंदाज़ में भाजपा, सपा और कांग्रेस पर हमला किया था लेकिन सीतापुर में जोश कुछ ज़्यादा हो गया और उसका खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ा.

हालाँकि बुआ उनके खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई करेंगी इसका अंदाजा शायद आकाश को भी नहीं था लेकिन मायावती को जानने वाले इस फैसले से बिलकुल हैरान नहीं हैं, उन्हें मालूम है कि बात जब उनपर या उनकी पार्टी पर आने लगे तो किसी के भी पर कतरने में वो देर नहीं लगाती हैं, फिर वो उनका चाहे कितना भी करीबी क्यों न हो. ऐसे अनेकों मिसालें मिलेंगी, बल्कि एक तरह से ये भी कहा जा सकता है कि उनके जितने भी करीबी थे, उन्हें या तो मायावती ने किनारे लगा दिया आया फिर उन्होंने खुद ही मायावती से किनारा कर लिया। आज की तारीख में मायावती का पार्टी में कोई भी करीबी नहीं है, भतीजे को इसीलिए तैयार किया जा रहा था लेकिन वो भी उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, बल्कि उनके लिए एक तरह से खतरा बनने लगा. बसपा में इस तरह की आक्रमकता की कोई जगह नहीं है , वैसे भी बसपा आज अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है ऐसे में आकाश आनंद के इस तरह के बयानों की आंच मायावती तक भी पहुँच सकती थी, इससे पहले कि वो आंच उनतक पहुंचे, उस आग को बुझा देना ही बहन जी ने अच्छा समझा।

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