अमित बिश्नोई
फिलहाल लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण का आज मतदान चल रहा है, अभी दो चरणों का और चुनाव होना है. 4 जून को चुनाव नतीजे आएंगे। जैसा कि चुनावी माहौल में जो बदलाव देखा जा रहा है, उसका असर शेयर बाजार पर भी नज़र आ रहा है. अपने शिखर से शेयर बाज़ार काफी नीचे आ गया है और अभी ऊपर नीचे के हिचकोले खा रहा है. विदेशी निवेशक भारतीय बाज़ार से पिछले एक महीने से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। शेयर बाजार में कमज़ोरी को आने वाले चुनावी नतीजों से भी जोड़कर देखा जा रहा है, यही वजह है कि पहले गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सामने आकर शेयर बाजार की गिरावट पर अपने बयान दिए और अब प्रधानमंत्री को भी इस मामले में सामने आना पड़ा और कहना पड़ा कि 4 जून के बाद शेयर बाजार छलांगे मारेगा, 15 दिन तक लगातार खरीदारी होगी इसलिए अभी से पैसा लगाना शुरू कर दीजिये।
सवाल ये है कि प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और एस जयशंकर को शेयर बाजार की गिरावट पर आकर बयान क्यों देने पड़े. गृह मंत्री अमित शाह एक तरफ कहते हैं कि शेयर में उतार चढाव तो होता ही रहता है. बात सच भी है, शेयर बाजार का नाम ही उतार चढाव है, ये शेयर बाजार से जुड़ा हर व्यक्ति या निवेशक जानता है। शेयर बाज़ार से जुड़े लोग ये भी जानते हैं कि बाज़ार समय से पहले रियेक्ट करता है। बाज़ार का ये नेचर है कि खबर बाहर आने से पहले ही खेल हो चूका होता है, खबर जब कन्फर्म हो जाती है तो खेल ख़त्म हो चूका होता है।
इसीलिए चुनाव के समय भी लोगों की निगाह शेयर बाजार और सट्टा बाज़ार पर होती हैं क्योंकि शेयर बाजार की चाल से आने वाले समय का लोग अंदाजा लगा लेते हैं और वो समय आने से पहले ही एक्शन भी ले लेते हैं यानि बुरी खबर आने से पहले समझदार और जानकार निवेशक बाजार से निकल चुके होते हैं और अच्छी खबर आने से पहले बाजार में घुस चुके होते हैं. शेयर बाजार में काम करने वाले बड़े प्लेयर बहुत घाघ किस्म के होते हैं, उन्हें पैसा बनाने मतलब होता है और जिधर उन्हें इसकी उम्मीद दिखती है उसी तरफ चल पड़ते हैं। ये तो आप भी अच्छी तरह जानते हैं कि उद्योग जगत की पहली पसंद कौन है और उद्योग जगत का शेयर बाज़ार से सीधा कनेक्शन है. ऐसे में यहाँ पर होने वाला रिएक्शन लोगों को संकेत तो दे ही देता है.
प्रधानमंत्री मोदी हों या फिर अमित शाह दोनों ही इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि शेयर बाजार की उठापटक का असर मतदाताओं पर पड़ता है. संयोग से दोनों गुजरात से हैं और शेयर बाज़ार की बारीकियों के बारे में उनसे ज़्यादा और उनसे अच्छा कौन समझ सकता है, दोनों ही कई बार इस बात का इज़हार भी कर चुके हैं. ऐसे में जब चुनावी माहौल में एक बदलाव की आहट नज़र आ रही है और उसकी झलक शेयर बाज़ार भी दिखाई दे रही है, भाजपा के ये दोनों बड़े नेता इस कोशिश में जुट गए कि शेयर बाज़ार की गिरावट को चुनाव से जोड़ने की सोच से बचाना चाहिए और इसीलिए दोनों को सामने आना पड़ा और लोगों को बताना पड़ा कि ये गिरावट अल्पकालिक और कृत्रिम है , डरने की कोई बात नहीं, सरकार मोदी जी की बन रही है इसलिए मौका है, जमकर खरीदारी करो और 4 जून के बाद माल कमाओ लेकिन क्या प्रधानम्नत्री और अमित शाह के कह भर देने से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना बंद कर देंगे। मोदी जी! ये शेयर बाजार है, भावनाओं में और बातों में नहीं बहता। बहुत प्रेक्टिटिकल होता, समय से पहले रियेक्ट करता है.