No Confidence Motion: देश की संसद में नियम 198 के तहत ऐसी व्यवस्था है। जिसमें सदन सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देते हैं। संसद गठन के बाद से लोकसभा में अब तक 28 अविश्वास प्रस्ताव लाए जा चुके हैं। पहला अविश्वास प्रस्ताव पंडित जाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में 1963 अगस्त में जेबी कृपलानी ने रखा था। आज देश में मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर संसद में बहस हो रही है। पीएम नरेंद्र मोदी के लिए दूसरा मौका है जब वे अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे हैं। इससे पहले मोदी सरकार को 2018 में पहले ‘अविश्वास’ प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। तब यह प्रस्ताव भारी अंतर से गिरा था।
आजादी के बाद से अब तक 28वां अविश्वास प्रस्ताव सदन में आ चुके हैं। भाजपा की एनडीए इसका पुरजोर जवाब देने का दावा कर रही है। वहीं, विपक्ष अविस्वास प्रस्ताव को लेकर सरकार के खिलाफ हमलावर है।
अविश्वास प्रस्ताव होता क्या है?
दरअसल, संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र नहीं है। लेकिन, अनुच्छेद 118 के तहत सदन अपनी प्रक्रिया बना सकता है। जबकि नियम 198 के तहत व्यवस्था है कि जिसमें सदन के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देते हैं।
ऐसे पारित होता है प्रस्ताव?
प्रस्ताव पारित कराने के लिए पहले विपक्षी सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष को लिखित सूचना दी जाती है। स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहते हैं। अविश्वास प्रस्ताव बहस के लिए तभी स्वीकार होता है। जब प्रस्ताव पेश करने वाले सांसद के पास 50 सदस्यों का समर्थन हासिल होता है। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले सांसद के प्रस्ताव पर कुल 50 सांसदों का साइन होना जरूरी है। लोकसभा अध्यक्ष की मंजूरी मिलने पर 10 दिन के अंदर इस पर चर्चा होती है। चर्चा के बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कराते हैं या फिर फैसला ले सकते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास?
संसद गठन के बाद से अब तक लोकसभा में 28 अविश्वास प्रस्ताव पेश हो चुके हैं। 28 में से 18 ऐसे प्रस्ताव हैं जो 1960 और 1980 के बीच आए। तीसरी और चौथी लोकसभा में छह-छह अविश्वास प्रस्ताव आए हैं। पांचवीं लोकसभा में चार प्रस्ताव आए थे। हालांकि, पिछले तीन दशकों में ‘अविश्वास’ प्रस्तावों की संख्या में कमी आई है। इस दौरान केवल छह अविश्वास प्रस्ताव आए। आजादी के बाद पहले 13 साल में एक भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया था। भारतीय संसद के इतिहास में पहला अविश्वास प्रस्ताव पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में 1963 में जेबी कृपलानी ने रखा था। उस दौरान भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद अविश्वास के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े थे और विरोध में 347 वोट पड़े थे। जवाहर लाल नेहरू की सरकार चलती रही थी।
किस पीएम के खिलाफ कितनी बार अविश्वास प्रस्ताव?
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सबसे अधिक अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। 15 सालों तक प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा ने आज तक आए सभी ‘अविश्वास’ प्रस्तावों में आधे से अधिक का सामना किया। 27 प्रस्तावों में से 15 प्रस्ताव पीएम इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए लाए गए। दो साल से कम समय तक प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री को ऐसे तीन अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा। पांच साल अल्पमत सरकार चलाने वाले पीवी नरसिम्हा राव को ऐसे तीन अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा। मनमोहन सिंह एकमात्र ऐसे पीएम हैं जिन्हें 10 साल तक पीएम रहने के दौरान अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ा।
मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव?
ये दूसरी बार है जबकि पीएम मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। इससे पहले बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को 20 जुलाई 2018 को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। अविश्वास प्रस्ताव भारी अंतर से गिरा था। अविश्वास प्रस्ताव चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी द्वारा लाया गया था।