By – महावीर सिंह नेगी
देहरादून – उत्तराखंड देव भूमि के नाम से जाना जाता है लेकिन यहां समय-समय पर ऐसे माफिया भी हुए हैं जो पहाड़ की शांत वादियों में आतंक का पर्याय रहे जिन्होंने पहाड़ ही नहीं बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यहां तक कि सत्ता के गलियारों तक अपनी हनक बनाई ऐसे ही एक माफिया की कहानी हम आपको बताते हैं जिसका नाम मनमोहन सिंह नेगी था फौजी परिवार में पले-बड़े मनमोहन उर्फ मन्नू दाई शुरू से ही बिगड़ैल स्वभाव का व्यक्ति था अमेरिकन माफियाओं की फिल्म देखने का शौक रखने वाले इस नौजवान ने आपने अपराध की दुनिया में इन्हीं माफियाओं का अंदाज को अपनाया.
भरतू दाई का बड़ा फैन मनु दाई
बात 70 के दशक की है जब पहाड़ की शांत वादियों में उत्तराखंड के पहले गैंगस्टर माफिया भरतू दाई की हनक हुआ करती थी मनमोहन भरतू दाई का बहुत बड़ा फैन था और हमेशा से उसकी गैंग में शामिल होना चाहता था मनमोहन की मुराद उस दिन पूरी हुई जब बाइक पर स्टंट का शौक रखने वाले मनमोहन सिंह नेगी को देहरादून के राजपुर रोड पर मोटर साइकिल से स्टंट करते भरतू दाई ने देखा. मनमोहन की फुर्तीले अंदाज और स्टंट से भरतू दाई काफी प्रभावित हुआ और उसे अपनी गैंग में शामिल कर लिया.
भरतू दाई की हत्या से बदला
मनमोहन की भरतू दाई गैंग में अभी शुरुआत ही थी कि देहरादून एश्ले हॉल के पास भरतू दाई की हत्या कर दी गई. हत्या विजय काणा, नरदेव, रेशम दाई गैंग ने की थी. जिसके बाद भरतू दाई का पूरा गैंग बिखर गया. इसी दौरान मनमोहन सिंह नेगी की मां उसे देहरादून से पौड़ी ले आई. जहां मनमोहन सिंह को मन्नू दाई और उसके बाद उत्तराखंड का बड़ा माफिया बनने में देर न लगी
टिचरी के काम से शराब माफिया तक का सफर
मनमोहन से मन्नू ताई बने मनमोहन सिंह नेगी ने पौड़ी में पहुंचने के बाद अपना रसूख जारी रखा यहां के स्थानीय लोगों से उसकी कई बार झड़प भी हुई यही नहीं आमने-सामने की गोलीबारी के मामले ने मनमोहन को इलाके में मन्नू दाई का नाम दे दिया.यहां से मन्नू ने टिचरी की सप्लाई में अपनी हनक शुरू की. जिसके बाद बढ़ते -बढ़ते मनु दाई वैध और अवैध शराब के काम में अपनी हनक रखने लगा. इसी बीच उसकी मुलाकात हिमाचल के कांगड़ा के रहने वाले हैं बलदेव से हुई और अब पौड़ी में मन्नू का एक गैंग शक्ल अख्तियार कर रहा था. अब मन्नू गैंग की दखल पूरे गढ़वाल के शराब के काम में होने लगी. बताया जाता है कि कोटद्वार छात्र संघ चुनाव के परिणाम के दौरान जब एक प्रत्याशी को हारने का डर सताने लगा तो उसने मनमोहन सिंह से मदद मांगी और तब मनमोहन सिंह नेगी ने मत पेटियां लूट ली. जिसके बाद इलाके में हड़कंप मच गया और मन्नू डाई का हल्ला हो गया. 70 के दशक में शराब के काम में गरीबदास का वर्चस्व हुआ करता था.जिसने मन्नू को कोटद्वार में शराब के काम में हिस्सेदारी देना शुरू किया यहां से मन्नू ने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की.
पत्रकार उमेश डोभाल हत्याकांड
पहाड़ पर एक तरफ मनमोहन सिंह नेगी गैंग का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था तो दूसरी ओर इस वर्चस्व से बेखौफ पत्रकार उमेश डोभाल ने अपनी लेखनी से समाज में अलख जगाने का बीड़ा उठाया. लेकिन मनमोहन सिंह और उसके गैंग ने पत्रकार उमेश डोभाल को भी ठिकाने लगा दिया. उमेश डोभाल की बॉडी पुलिस ढूंढ नहीं पाई. जिसने न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के पत्रकार जगत को हिला कर रख दिया. पौड़ी में इस हत्याकांड के खिलाफ लोग सड़कों पर थे. काफी मशक्कत के बाद मामले की सीबीआई जांच हुई और मनमोहन सिंह नेगी सहित 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन 1994 में सबूतों के अभाव में सभी आरोपी बरी कर दिए गए.
बड़े शराब माफियाओं में डर
शराब के काम में मनमोहन सिंह का नाम इतना बड़ा हो चला था कि पहाड़ पर जाने-माने लिकर किंग पोंटी चड्ढा और डीपी यादव जैसे नाम उत्तराखंड की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहे थे. मन्नू दाई का हौसला जैसे-जैसे बढ़ता गया उसी तरह से उसका गैंग भी विशाल रूप ले चुका था. उत्तराखंड बलदेव के हवाले कर मनमोहन सिंह नेगी दिल्ली में रहकर चावल के एक्सपोर्ट का नया काम शुरू करने की प्लानिंग कर रहा था. लेकिन इस बड़े गैंग में विरोध के भी स्वर धीरे-धीरे उठने लगे थे.
गुरु का सिखाया दाव गुरु पर
पहाड़ पर शराब का सारा काम अपने खास बलदेव को सौंप कर मनमोहन ने दिल्ली में सफेदपोस के साथ अपनी नजदीकी बढ़ाने शुरू की. मनमोहन अपने ही गैंग के भीतर पनप रहे विस्फोट से अनजान था. और फिर 1 दिन बलदेव और उसके कुछ साथियों ने मिलकर मनमोहन सिंह नेगी की उसी के फ्लैट में हत्या कर दी. और बॉडी को ऐसी जगह ठिकाने लगाया कि आज तक मनमोहन सिंह नेगी का शव पुलिस भी नहीं ढूंढ पाई. मनु दाई हमेशा बलदेव को एक सलाह दिया करता था. इटली के माफिया की तरह ही हत्या कर शव को ठिकाने लगा देना चाहिए और अपने गुरु की सलाह को बलदेव ने अपने गुरु पर ही इस्तेमाल कर दी.