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Amit Shah ने कहा, पत्रकार को एक्टिविस्ट नहीं बनना चाहिए

पॉलिटिक्सAmit Shah ने कहा, पत्रकार को एक्टिविस्ट नहीं बनना चाहिए

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नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले सरकारें वोट बैंक को ध्यान में रखकर नीतियां बनाती थी, लोगों को खुश करने वाली योजनाओं की घोषणा होती थी लेकिन अब मोदी सरकार में बड़ा बदलाव आ चूका है, अब किसी को खुश करने के लिए नहीं बल्कि जनता की भलाई के लिए नीतियां बनाई जाती है. अमित शाह ने पूर्व की सरकारों पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाया। हालाँकि पूर्व की सरकारों में अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा सरकारें भी शामिल हैं. अब यह हो सकता है कि अमित शाह की नज़र में भाजपा की असली सरकार 2014 में ही बनी है शायद, वैसे कह भी सकते हैं कि यह असली भाजपा सरकार है क्योंकि दोनों बार पूर्ण बहुमत मिला।

मीडिया में सरकार के गुणगान का किया बचाव

मीडिया में सरकार के गुणगान का बचाव करते हुए अमित शाह ने कहा कि सरकार की अच्छी बातों को सामने लाना गलत कैसे हो सकता है. अच्छी चीज़ों को स्वीकार करना चाहिए चाहिए विचारधारा कोई भी हो. अमित शाह ने कहा कि पत्रकारों को खुले दिमाग़ से परिणामों को स्वीकार करना चाहिए और अगर कोई ऐसा नहीं करता तो वो पत्रकार ही नहीं. अमित शाह ने ऐसे पत्रकारों को कार्यकर्ता का नाम दिया. उन्होंने कहा कि पत्रकार को एक्टिविस्ट नहीं बनना चाहिए.

कठोर फैसले जनता की भलाई के लिए

बहरहाल अमित शाह ने आगे मोदी सरकार की तारीफ़ करते हुए कहा कि कुछ कठोर फैसले लिए गए लेकिन वो फैसले जनता की भलाई के लिए लिए गए. उनका आशय नोटबंदी और GST की तरफ था जिनको विपक्ष आज भी मुद्दा बनाये हुए है. वैसे यह बात तो सही है कि यह कठोर फैसले थे लेकिन यह अलग बहस का मुद्दा है कि इनसे जनता की कितनी भलाई हुई. अमित शाह ने कहा कि जब हम डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना लेकर आये तो ज़ाहिर था बिचौलिए बड़ा परेशान हुए और हमारा बड़ा विरोध हुआ. इसी तरह लोगों की भलाई के लिए और भी कठिन फैसले लिए गए. अमित शाह ने कहा कि हमने नीतियां बनाते समय कभी वोट बैंक को ध्यान में नहीं रखा, सिर्फ समस्या का समाधान करने के बारे में सोचा.

समस्याओं का पूर्ण समाधान

शाह ने कहा कि पूर्व की सरकारों में समस्याओं के समाधान को लेकर नीतियां नहीं बनाई जाती थी, अगर बनाई भी गयी तो इस तरह कि समस्या का पूरी तरह समाधान न हो बल्कि वो बरकरार रहे लेकिन मोदी सरकार ने कभी समस्याओं का समाधान आधा अधूरा नहीं किया और नीतियों के आकार में बदलाव किया।

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