सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद निर्वाचन आयोग ने रविवार को चुनावी बॉण्ड से जुड़ा नया डेटा पब्लिक कर दिया है। डेटा के मुताबिक केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड भुनाए हैं। 2019-20 में तो भाजपा को इलेक्टोरल बॉण्ड के द्वारा 2,555 करोड़ रुपये मिले हैं। चुनावी बॉण्ड के माध्यम से सबसे ज्यादा चंदा पाने वालों में तृणमूल कांग्रेस है जिसे 1,397 करोड़ रुपये मिले हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस तीसरे नंबर पर है जिसने 1,334.35 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉण्ड भुनाए हैं। KCR की BRS ने 1,322 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड भुनाए। पांचवें नंबर पर बीजेडी है जिसने 944.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड भुनाए हैं।
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर पब्लिश डाटा के अनुसार तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके को इलेक्टोरल बॉण्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपये मिले हैं जिसमें 509 करोड़ रुपये तो अकेले लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन की अगुवाई वाली फ्यूचर गेमिंग से प्राप्त हुए हैं। वहीं आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस को 442.8 करोड़ रुपये, विपक्षी TDP ने 181.35 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्डों को भुनाया है। सबसे कम नेशनल कॉन्फ्रेंस को सिर्फ 50 लाख रुपये के इलेक्टोरल बांड मिले हैं।
बता दें कि सीलबंद लिफाफे में यह डेटा आयोग ने उच्चतम न्यायालय को सौंपा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सार्वजनिक करने के लिए कहा था। सीलबंद लिफ़ाफ़े का ये विवरण माना जा रहा है कि 12 अप्रैल, 2019 से पहले का है। आयोग ने कहा कि पोलिटिकल पार्टीज से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत में जमा किया गया था। 15 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए न्यायालय की रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ भौतिक प्रतियां निर्वाचन आयोग को वापस कर दीं थी जिसे निर्वाचन आयोग ने अब अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है.