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अम्बानी-अडानी से कांग्रेस ले रही है पैसा, पीएम मोदी का आरोप

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तेलंगाना में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर चिंता जताई कि जब से चुनाव शुरू हुआ है, कांग्रेस पार्टी के शहज़ादे (राहुल गाँधी) ने अडानी और अम्बानी को गाली देना बंद कर दिया है. पिछले पांच साल से कांग्रेस के शहज़ादे सुबह उठते ही अडानी-अम्बानी की माला जपने लगते थे लेकिन अचानक उन्होंने अडानी अम्बानी को गालियां देना बंद कर दी, ज़रूर दाल में कुछ काला है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि वो कांग्रेस के शहज़ादे से पूछना चाहते हैं कि आखिर अडानी अम्बानी से क्या डील हुई, कितना माल दोनों से उठाया है, काले धन के कितने बोर टेम्पो में भरकर कांग्रेस के पास पहुंचे हैं. दिन रात गालियां देने के बाद रातोरात गालियां देना बंद कर देना, ज़रूर दाल में कुछ काला ज़रूर है, इसका जवाब तो देश को देना होगा। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से बहुत से लोग हैरान हैं। ये पहला मौका है जब प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि अडानी और अम्बानी उनके साथ नहीं कांग्रेस के साथ हैं , अडानी और अम्बानी भाजपा की जगह कांग्रेस को पैसा दे रहे हैं और जो पैसा दे रहे हैं वो काला धन है।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मोदी के आज के बयान से साफ़ झलक रहा है कि बदलाव शुरू हो चूका है, वर्ना प्रधानमंत्री मोदी अम्बानी और अडानी को कांग्रेस के साथ नहीं जोड़ते। वैसे मोदी जी की इस बात में बिलकुल भी सच्चाई नहीं है, राहुल गाँधी के हर भाषण में आज भी 20-25 उद्योगपतियों की बात होती है जिसके पास उतना धन मौजूद है जो देश की 70 प्रतिशत आबादी के पास है. आज भी उन 20-25 उद्योगपतियों में अम्बानी और अडानी का नाम प्रमुखता से आता है. अब या तो प्रधानमंत्री को इस बात की जानकारी नहीं है या फिर उनको जानकारी देने वाले उन्हें गलत जानकारी दे रहे हैं. अम्बानी और अडानी आज भी राहुल गाँधी का प्रिय विषय हैं। दरअसल राहुल गाँधी अम्बानी और अडानी पर हमले नहीं करते बल्कि इन दोनों का नाम लेकर मोदी जी पर हमला करते हैं क्योंकि राहुल गाँधी जानते हैं कि ये मोदी जी की दुखती रग हैं. वैसे प्रधानमंत्री ने आज अम्बानी-अडानी से पैसा लेने की बात कहकर एक नई बहस तो छेड़ ही दी है. कहते हैं बिजनेसमैन सिर्फ उसे ही पसंद करता है जो उसके बिजनेस को बढ़ाने में उसकी मदद करे, अब सवाल उठता है कि क्या अम्बानी और अडानी इस चुनाव में कांग्रेस की मदद कर रहे हैं या फिर मोदी जी ने मंगल सूत्र, राम मंदिर में ताला जैसा ही एक चुनावी जुमला छोड़ा है.

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