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अमित शाह को 11 मुस्लिम उम्मीदवारों का समर्थन!

आर्टिकल/इंटरव्यूअमित शाह को 11 मुस्लिम उम्मीदवारों का समर्थन!

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अमित बिश्नोई
जी हाँ, हैडलाइन से आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन ये एक तरह से सच बात है, आप इसे एक कटाक्ष भी कह सकते हैं. दरअसल गुजरात की गांधीनगर सीट, जहाँ से देश के गृह मंत्री अमित शाह सांसद हैं ने कल अपना नामांकन दाखिल किया और उसी के बाद लोगों ने गाँधीनगर को जब खंगाला तो पता चला अमित शाह के खिलाफ 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं. हालाँकि अमित शाह का मुकाबला कांग्रेस पार्टी के सोनल पटेल पटेल से है. इन 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में 9 निर्दलीय हैं, एक बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी है और एक धनवान भारत पार्टी का उम्मीदवार है. यहाँ पर समर्थन की बात इसलिए कही है क्योंकि गाँधीनगर एक तो भाजपा का गढ़ रहा है और दूसरे यहाँ पर मुसलमानों की जनसँख्या भी कोई ख़ास नहीं है जिसके लिए 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में आ गए हैं.

वैसे तो कोई भी कहीं से चुनाव लड़ सकता है लेकिन भारत में ये बात आम है कि विरोधी के वोटों में सेंध लगाने के लिए डमी प्रत्याशी उतारे जाते हैं, जिन्हें वोट कटवा बोलते हैं, गांधीनगर में इसबार 11 वोट कटवा या तो खुद खड़े हुए हैं या फिर खड़े किये गए हैं क्योंकि ये बात तो तय है कि ये जीतने के लिए तो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. गुजरात में इसबार लम्बे समय के बाद भाजपा को कांग्रेस से टक्कर मिल रही है, ऐसा भी कह सकते हैं कि कुछ हालात भी ऐसे बन गए जो भाजपा के अनुकूल नहीं बताये जा रहे हैं , ज़ाहिर सी बात है कि इसका अगर किसी को फायदा मिलेगा तो कांग्रेस पार्टी ही होगी। जो ओपिनियन पोल्स अभी तक आये हैं उनसे भी यही संकेत मिले हैं कि भाजपा का गढ़ इस बार दरकने वाला है. पिछले चुनाव में भाजपा का यहाँ 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट था लेकिन इस बार उसमें गिरावट निश्चित है। अगर हम सबसे लेटेस्ट ओपिनियन पोल की बात करें तो कांग्रेस को यहाँ पर इस बार 6 से आठ सीटें मिल सकती हैं. ये संख्या मोदी जी के गुजरात को लेकर बहुत ज़्यादा है.

पिछले दिनों गुजरात में उठा राजपूत विवाद भाजपा को बड़ा नुक्सान पहुँचाने वाला है और इसका फायदा सीधा कांग्रेस को मिल रहा है. गुजरात की सभी 26 सीटों में गांधीनगर की सीट इस मायने में ख़ास है क्योंकि 1989 के बाद से ये सीट भाजपा के कब्ज़े में रही है. भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 6 बाद इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी गांधीनगर से सांसद रह चुके हैं, 1991 में लालकृष्ण आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल में डालने के बाद इस सीट का प्रतिनिधित्व करने का मौका अमित शाह को मिला और उन्होंने यहाँ से 5 लाख से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की. एक तरह गांधीनगर भाजपा की विरासत वाली सीट बन गयी है और जब कोई सीट विरासत वाली बन जाती है तो वहां पर जीत मायने नहीं रखती, जीत का अंतर मायने रखता है. कम वोट से मिली जीत पर तरह तरह के सवाल उठने लगते हैं.

गांधीनगर से अमितशाह जीतेंगे इसमें किसी को भी संदेह नहीं है शायद कांग्रेस उम्मीदवार को भी नहीं लेकिन अमित शाह जिन्हें भाजपा का चाणक्य कहा जाता है अपने जीत के अंतर को किसी भी हालत में कम नहीं होने देना चाहते शायद 11 मुस्लिम उम्मीदवार इसीलिए मैदान में हैं. अब ये सब अमित शाह के डमी उम्मीदवार हैं इसे दावे से नहीं कहा जा सकता लेकिन इंकार भी नहीं किया जा सकता। इनमें सिर्फ एक उम्मीदवार मोहम्मद दानिश जो बहुजन समाज पार्टी की तरफ से मैदान में हैं सही प्रत्याशी कहा जा सकता है, वरना भाजपा के गढ़ में 11 मुस्लिम प्रत्याशी अपने आप में सवाल खड़ा कर देता है. ग्राउंड रिपोर्ट्स को अगर माने तो सोनल पटेल अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं, गांधीनगर का मुस्लिम वोट उन्हें न मिले या फिर कम से कम मिले ये उसी रणनीति का एक हिस्सा है. पिछले चुनाव की अगर हम बात करें तो भाजपा को करीब 70 प्रतिशत वोट मिले थे, बसपा से ज़्यादा वोट तो नोटा को मिले थे, ऐसे में बसपा ने यहाँ से सिर्फ नाम के लिए ही अपना उम्मीदवार उतारा है, बाकी आज़ाद उम्मीदवारों को तो किसी गिनती में नहीं लेना चाहिए, कांग्रेस ने यहाँ से पिछली बार 26 प्रतिशत से ज़्यादा वोट हासिल किये थे, इस बार आम आदमी पार्टी से भी उसका समझौता है, पिछले कुछ सालों में AAP ने वहां पकड़ बनाई है. विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की वजह से गुजरात में कांग्रेस को बहुत नुक्सान हुआ था और भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली थी, कांग्रेस उस नुक्सान से इस बार बच जाएगी। अमित शाह को अच्छी तरह से मालूम है कि यहाँ से इस बार अपनी जीत के मार्जिन को बढ़ा पाना तो दूर, उसे मेंटेन करना भी काफी मुश्किल काम है. अब देखना है कि ये 11 मुस्लिम उम्मीदवार अमित शाह की कितनी मदद कर पाएंगे।

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