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राम थे संग, फिर भी हार गई थी कांग्रेस, अब मेरठ में क्या होगा भाजपा का भविष्य ?

आर्टिकल/इंटरव्यूराम थे संग, फिर भी हार गई थी कांग्रेस, अब मेरठ में...

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1988 में हुए उपचुनावों में राम का किरदार निभा चुके अरुण गोविल ने किया था कांग्रेस के लिए प्रचार, जुटी थी भारी भीड़

पारुल सिंघल
2024 के लोक सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी राम नाम को भुनाने का पूरा प्रयास कर रही है। अयोध्या में राम मंदिर बनाने के बाद टीवी की रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल तक को उन्होंने मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट का प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है। इस सीट पर टीवी के राम का भविष्य क्या होगा ये तो चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे। इससे पहले ये जान लेते हैं की ये राम कांग्रेस पार्टी के लिए भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं। ये बात दीगर है कि उन चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। दशकों बाद राम फिर राजनीति के मैदान में उतरे हैं। इस बार भाजपा की ओर से मेरठ की सड़कों पर लोगों से अपने लिए वोट मांग रहे हैं। भाजपा का क्या भविष्य होगा ये अब वक्त बताएगा।

क्या था मामला
बात 1988 की है। इलाहाबाद में उपचुनाव होने थे। 1984 में अमिताभ बच्चन इस सीट पर हुए आम चुनावों में सांसद चुने गए थे। 1987 में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्व प्रताप सिंह ने उन पर बोफोर्स तोप घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने बगावत कर दी थी। अमिताभ बच्चन को मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। जून में होने वाले उपचुनावों के लिए सभी पार्टी लड़ रहीं थीं। प्रचार प्रसार जोरों पर था। उसी दौरान अरुण गोविल इलाहाबाद पहुंचे थे। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता के अनुसार उस वक्त लोगों के जेहन में भगवान की वही छवि रम जाती थी जो वह टीवी पर देखते या सुनते थे। रामायण सीरियल उन दिनों घर – घर में चर्चित था। लोग पूरी श्रद्धा से इसे देखते थे।अरुण गोविल राम का किरदार निभा रहे थे। उनके चेहरे में लोग प्रभु राम की छवि देखते थे। कांग्रेस पार्टी को मौका मिला और प्रचार के लिए संगम नगरी के पुरुषोत्तम दास पार्क में अरुण गोविल की जनसभा का आयोजन करवा दिया। सैकड़ों की तादाद में लोग सभा स्थल पर जुट गए। महिलाएं आरती की थाल सजाकर लाईं। हर घर के बाहर फूल माला लिए लोगों का मजमा था।

ढाई घंटे की जनसभा में उमड़ गया था इलाहाबाद
कांग्रेस नेता बताते हैं कि अरुण गोविल की जनसभा ढाई घंटे चली थी। इसी बीच जय सियाराम के नारे भी लगे थे। अरुण गोविल ने उस वक्त इलाहाबाद की जनता से कांग्रेस पार्टी को वोट देने की अपील की थी। उन्होंने कांग्रेस को साफ सुथरी पार्टी बताते हुए वोट मांगे थे। सुनील शास्त्री कांग्रेस के प्रत्याशी थे। इलाहाबाद की जनता को उम्मीद थी की जनसभा के बाद अरुण गोविल खुली जीप में बैठकर लोगों के बीच में आएंगे। जनता उनका स्वागत सत्कार करना चाहती थी। महिलाएं आरती की थाल लेकर खड़ी थीं। ऐसा नहीं हो पाया। अरुण गोविल मैदान में नहीं उतरे। वह जनसभा से सीधे अपने गंतव्य पर लौट गए। लोगों में भारी निराशा फैल गई। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को करारी हार का सामना करना पड़ा। निर्दलीय चुनाव लड़े कांग्रेस के बगावती नेता विश्व प्रताप सिंह ने यह चुनाव जीता था।

ठुकरा दिया था राज्यसभा का ऑफर
इन्हीं चुनावों के दौरान कांग्रेस ने अरुण गोविल को राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव भी दिया था। अरुण गोविल ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि वह राजनीति में नहीं आना चाहते। इसके बाद भी कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार उन्हें कई बड़े ऑफर दिए जाते रहे। उन्होंने किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। तकरीबन 36 वर्ष बाद अब वह फिर से राजनीति के मैदान में भाजपा की ओर से उतरे हैं। कांग्रेस नेता बताते हैं कि राज्यसभा का प्रस्ताव दिए जाने के तकरीबन बीस वर्ष बाद जब उनसे राजनीति में ना आने के बारे में पूछा तो उन्होंने इसे अपनी भूल बताया था।

मुद्दों की नहीं राम की राजनीति कर रहे हैं अरुण गोविल
मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट के प्रत्याशी बने अरुण गोविल मेरठ की जनता से राम नाम पर वोट मांग रहे हैं। उनके भाषण और प्रचार प्रसार में चुनावी मुद्दों और लोगों की समस्याएं नदारद हैं। खुली जीप में वह राम की छवि लेकर लोगों के बीच में पहुंच रहे हैं। महिलाएं उन पर फूल बरसा रहीं हैं। वह भी उन्हीं फूलों को वापस महिलाओं पर फेंक रहे हैं। यह नजारा अमूमन उनकी हर जनसंपर्क सभा में देखने को मिल रहा है। मेरठ के मुद्दों पर कई बार सवाल पूछे जाने पर वह यह स्पष्ट भी कर चुके हैं कि, उनका फोकस मुद्दों पर नहीं, बल्कि जीतकर सांसद बनने पर है। वह यह स्पष्ट भी कर चुके हैं कि यदि वह सीट से जीत जाते हैं उसके बाद ही यहां के लोगों की समस्याओं को जानने का प्रयास करेंगे।

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