सुप्रीम कोर्ट इलेक्टोरल मामले में किसी भी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है। आज मामले की सुनवाई करते हुए उसने एकबार फिर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को सख्त लहजे में कहा कि आधी अधूरी नहीं, आपको पूरी जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में SBI को हिदायत दी थी कि वो इलेक्टोरल बांड के अल्फा न्यूमरिक नंबरों को साझा करे ताकि इस बात का मिलान हो सके कि किस इलेक्टोरल बांड को किस पार्टी ने भुनाया। आज की सुनवाई में आद्योगिक संगठन फिक्की और एसोचैम भी पहुंचे और शीर्ष अदालत से गुहार लगाई कि वो इलेक्टोरल बांड के अल्फा न्यूमेरिक नंबर देने के मुद्दे को टाल दे, इसपर CJI ने उनके वकील मुकुल रोहतगी से कहा कि इसके लिए वो पहले आवेदन करें, फिर उन्हें सुना जायेगा।
शीर्ष अदालत में इस मामले की सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ कर रही है जिसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिसरा शामिल हैं. स्टेट बैंक की ओर से पेश हरीश साल्वे ने साल 2019 के अंतरिम आदेश का जिक्र किया और बताया कि SBI ने इस आदेश को किस तरह समझा। साल्वे ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड अलग-अलग जगह रखे गए थे ऐसे में अल्फा न्यूमेरिक नंबर नहीं दिए गए लेकिन इसको देने में हमें कोई समस्या नहीं है. साल्वे के तर्क पर सीजेआई ने कहा कि आप चुनिंदा जानकारी साझा नहीं कर सकते, हमने स्पष्ट तौर पर सारी जानकारी सार्वजनिक उपलब्ध करने को कहा था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया एक एफिडेविट दाखिल करे कि आदेश के अनुपालन में बॉन्ड नंबर देगा और यह भी स्पष्ट करे कि इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित उसने सारी जानकारी भारत के निर्वाचन आयोग को उपलब्ध करा दी है, और उसके पास कोई भी जानकारी शेष नहीं है।