न्यूयार्क। अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारत चीन नीति पर दावा किया है। जिसके मुताबिक विदेश नीति पर एक स्वतंत्र रुख रखने वाले भारत को चीन की आक्रामक नीतियों के चलते अपनी रणनीतिक स्थिति बदलनी पड़ी। यही कारण है कि क्वाड समूह में शामिल होने के भारत मजबूर हुआ।
लद्दाख में हो चुकी कई घातक झड़प
उन्हाेंने कहा कि भारत व चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर 31 महीने से गतिरोध बना हुआ है। जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में घातक झड़प के बाद से दोनों के संबंधों में तनाव आ गया था।
भारत का कहना है कि चीन के साथ संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक सीमावर्ती क्षेत्र में शांति नहीं होती है। पोम्पिओ ने अपनी किताब ‘नेवर गिव एन इंच : फाइटिंग फॉर द अमेरिका आई लव’ में भारत को क्वाड में ‘वाइल्ड कार्ड’ करार दिया है। यह समाजवादी विचारधारा पर आधारित राष्ट्र था।
उनके अनुसार भारत ने शीत युद्ध काल में न तो अमेरिका और न पूर्ववर्ती सोवियत संघ के साथ गठबंधन किया। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा किसी गुट में शामिल हुए बिना अपना रास्ता तैयार किया। लेकिन चीन की हरकतों ने पिछले कुछ सालों में भारत को अपनी रणनीतिक स्थिति बदलने के लिए मजबूर किया है।
राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने की अटकलें
पोम्पिओ के 2024 में राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने की अटकलें लगाई जा रही हैं। किताब में पोम्पियो ने बताया है कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप सरकार भारत को क्वाड समूह में लाने में सफल रहा। अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने के लिए ही 2017 में क्वाड को बनाया था। जबकि प्रस्ताव लंबे समय से लंबित था।
जून 2017 में चीनी सैनिकों ने सीमा पर झड़प में बीस भारतीय सैनिकों को मार डाला। उस खूनी घटना ने भारतवासियों को चीन के साथ देश के संबंधों में बदलाव की मांग करने के लिए प्रेरित किया।