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Household Savings: घरेलू बचत दर निचले स्तर पर, वित्त मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े

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Household Savings Rate: वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि घरेलू बचत को लेकर कोई दबाव नहीं है। सरकार ने कहा कि आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि विभिन्न वित्तीय उत्पादों को लेकर उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकता के कारण घरेलू बचत के तरीके में बदलाव हुआ है।
सरकार का स्पष्टीकरण भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के बाद आया है। जिससे पता चलता है कि शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत दर वित्त वर्ष 23 में कई दशक के निचले स्तर जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर है। जो वित्त वर्ष 22 में जीडीपी का 7.2 प्रतिशत थी।

आंकड़े सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि परिवारों के सकल वित्तीय संपत्तियों और देनदारियों में बदलाव के आंकड़े सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं। रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल खरीदने के लिए बड़े पैमाने पर इस समय कर्ज लिए जा रहे हैं। कई ट्वीट के माध्यम से वित्त मंत्रालय ने कहा कि एनबीएफसी खुदरा कर्ज में 36 फीसद वाहन खरीदने में गया है। यह परिवारों पर दबाव का संकेत नहीं। बल्कि रोजगार और आमदनी को लेकर उनके भरोसे को दिखाता है।

वाहन लोन अप्रैल 2022 से सालाना आधार पर दो अंकों में बढ़ा

वित्त मंत्रालय ने कहा मई 2021 के बाद से आवास लोन में लगातार दो अंकों की तेजी आई है। ऐसे में वित्तीय देनदारियां रियल एस्टेट खरीद में बढ़ी हैं। वाहन लोन अप्रैल 2022 से सालाना आधार पर दो अंकों में बढ़ा है। सितंबर 2022 से पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 20 फीसद से अधिक बढ़ा है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि साफ है कि हाउसहोल्ड सेक्टर पर कोई दबाव नहीं। वो कर्ज लेकर वाहन और घर खरीद रहे हैं। वित्त मंत्रालय ने तर्क के समर्थन में व्यक्तिगत लोन के रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला दिया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि बैंकों द्वारा कुछ चीजों के लिए व्यक्तिगत लोन दिया जाता है। इसमें रियल एस्टेट व वाहन लोन प्रमुख है। दोनों गिरवी पर दिए जाते हैं। इन दो क्षेत्रों में व्यक्तिगत लोन का 62 फीसद दिया है। अन्य प्रमुख कैटगरी अन्य व्यक्तिगत लोन व क्रेडिट कार्ड लोन की है।

मंत्रालय ने कहा कि परिवारों ने वित्त वर्ष 21 में 22.8 लाख करोड़ रुपए की शुद्ध वित्तीय संपत्तियां जोड़ी हैं। जो वित्त वर्ष 22 में करीब 17 लाख करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 23 में 13.8 लाख करोड़ रुपए है। मौजूदा मूल्य पर घरेलू बचत, इसमें वित्तीय, भौतिक और आभूषण शामिल है। 2013-14 और 2021-22 के बीच 9.2 फीसद सीएजीआर से बढ़ी है। इस अवधि के दौरान नॉमिनल जीडीपी 9.65 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ी है।

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