दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन फंड सबसे तेजी से बढ़ते बाजार भारत पर अपना दांव लगा रहे हैं। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) से संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सॉवरेन वेल्थ फंड के स्वामित्व वाली कुल प्रतिभूतियां अप्रैल 2024 को समाप्त एक साल में लगभग 60 प्रतिशत बढ़कर 4.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गईं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में सॉवरेन वेल्थ फंड के पास 3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी। इसके विपरीत, समग्र विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के कब्ज़े में संपत्ति 2024 के दौरान लगभग 40 प्रतिशत बढ़कर 69.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि मजबूत विकास क्षमता और व्यापार करने में आसानी के कारण भारत ऐसे विदेशी सरकारी फंडों के लिए पसंदीदा स्थान बनता जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में, केंद्र सरकार ने ऐसे फंडों के लिए अनुपालन प्रक्रिया को आसान बना दिया है और अबू धाबी निवेश प्राधिकरण जैसे कुछ सॉवरेन वेल्थ फंडों के लिए विशेष कर छूट भी प्रदान की है।
डेलॉयट इंडिया की पार्टनर नेहा अग्रवाल जैन का मानना है कि आशाजनक विकास दर और राजनीतिक स्थिरता ने भारत को सॉवरेन वेल्थ फंड्स द्वारा प्रत्यक्ष निवेश के लिए हॉटस्पॉट बना दिया है। कर रियायतें जारी रहने से ऐसे फंडों के निरंतर प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा।”
सिंगापुर सरकार, अबू धाबी निवेश प्राधिकरण, कुवैत निवेश प्राधिकरण और नॉर्वेजियन पेंशन फंड सहित सॉवरेन फंड भारतीय बाजार में प्रमुख खिलाड़ी हैं। ट्रेंडलाइन डेटा से पता चलता है कि भारतीय शेयर बाजारों में सिंगापुर सरकार का सबसे बड़ा निवेश रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों में है, जहां फंड की मौजूदा बाजार कीमतों पर लगभग 30,000 करोड़ रुपये की 1.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। आंकड़ों से पता चलता है कि इसके पास एचडीएफसी बैंक में 2.34 प्रतिशत या लगभग 25,000 करोड़ रुपये के शेयर भी हैं।