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किसान पस्त जनता त्रस्त बिचोलिया मस्त

आर्टिकल/इंटरव्यूकिसान पस्त जनता त्रस्त बिचोलिया मस्त

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किसान पस्त जनता त्रस्त बिचोलिया मस्त

सब्जी दाल तेल की असमान छूती कीमतों से अवाम परेशान

अमित बिश्‍नोई  

किसान पस्त जनता त्रस्त बिचोलिया मस्त

बाज़ार में दालों तेल सब्जियों के दाम जिस तरह आसमान से बातें कर रहे हैं उस से आम उपभोक्ता त्राहि त्राहि कर रहा है दालें 150 से ले कर 180 रुपया प्रति किलो बिक रही है जबकि प्याज 100 के आस पास और आलू 60 रुपया प्रति किलो बिक रहा है दूसरी सब्जियों के दाम भी बाबा मोल है I दूसरी ओर नोट बंदी से लेकर देशबंदी (लॉकडाउन) तक के कारण जनता की जो आर्थिक स्थिति हो गयी है वह किसी से छुपी नहीं I केवल अनियोजित बल्कि मूर्खतापूर्ण लॉकडाउन के चलते जो 20 करोड़ के आस पास लोग बेरोजगार हुए हैं जरा सोचिये कि इस मंहगाई के दौर में जब उनकी जेब खाली है उनका चूल्हा कैसे जलता होगा? सरकार इस मंहगाई के लिए तरह तरह के तर्क दे रही है कभी बेमोसम बारिश के कारण प्याज की फसल तबाह होने की बात कही जा रही है जो सही हो सकता है लेकिन फिर सरकार के बैक अप प्लान का क्या हुआ ? मौसम की मार तो पड़ती रहती है दूसरी समस्याएँ भी होती है लेकिन चिंतित सरकारें इन सबका पहले से आभास करके एक दो साल का बफर स्टॉक रखती है क्योंकि समस्या उत्पन्न होने पर आवश्यक वस्तुओं की कमी या महंगाई पर जनता बहाना और तर्क नही समाधान चाहती है I

सितम्बर से ही आलू प्याज दूसरी सब्जियां दालें और तेल मंहगा होना शुरू हो गया था और अब तो यह हालत है की समाज का निचला वर्ग ही नहीं मध्य आय वर्ग के लिए भी कठिनाई पैदा हो रही है I दूसरी ओर सरकार दावा कर रही है कि कोल्ड स्टोरेज में पर्याप्त आलू है और प्याज का भी बफर स्टॉक मौजूद है फिर उसे मार्किट में क्यों नहीं भेजा जा रहा है यह सवाल उठना लाज़मी है इसके साथ ही यह सवाल तो उठेगा ही कि क्या किसी को फायदा पहुंचाने के लिए स्टॉक रोक कर जनता का खून चूसा जा रहा है ? अगर आलू प्याज दालों और तेल की चढ़ी कीमतों से कुछ फायदा देश के किसानों का हो जाता तो भी शायद जनता इस बोझ को ख़ुशी ख़ुशी बर्दाश्त कर लेती लेकिन किसानों को वाजिब मूल्य नहीं मिलता और उपभोक्ता का खून चूसा जा रहा है I यह व्यवस्था की खुली नाकामी नहीं बल्कि साज़िश है I

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उत्तर प्र्देश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यहाँ के कोल्ड स्टोरेज में करीब साढ़े तीस लाख टन आलू मौजूद है यह आलू की बोवाई का भी सीजन है बीज के लिए करीब 8-10 लाख टन आलू प्रयोग होगा तो फिर यह बाकी 20 -21 लाख टन आलू बाजार में क्यों नहीं उतारा जा रहा है ? सरकर का दावा है कि उसने इस माह के अंत तक पुराना आलू कोल्ड स्टोरेज से निकाल देने का आदेश दिया है लेकिन आलू के किसान जानते हैं कि ऐसा नहीं हो पायेगा क्योंकि जमाखोरों की लॉबी ऐसा नहीं होने देगी I सरकार ने प्याज की खुदरा भंडारण की सीमा 2 टन और थोक भंडारण की सीमा 31 दिसम्बर तक के लिए निश्चित कर दी है जिससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है बशर्त इस पर ईम्नादारी और सख्ती से अमल हो I काफी लम्बे अरसे से प्याज के दाम बाज़ार की शक्तियों को नियंत्रित करने वाली ताकतों के हाथ में है वह जब चाह्ते हैं प्याज के दाम आसमान पर चढ़ जाते हैं और जब चाहते प्याज मिटटी मोल हो जाती है इस कुचक्र को कौन सरकार तोड़ पाएगी यह बहुत बड़ा सवाल है ?

मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म कर के साफ़ सन्देश दे दिया है कि वह किधर खड़ी है I यही नहीं जब पंजाब सरकर ने जमाखोरी रोकने के लिए यह अधिनियम अपने यहाँ जारी रखने का बिल सर्वसम्मत से असम्बली में पास कराकर मंज़ूरी के लिए गवर्नर के पास भेजा तो उसे आज तक मंज़ूरी नहीं दी गयी है i भारत जैसे देश में आवश्यक वस्तुओं विशेषकर खाद्यान को बाज़ार की शक्तियों के रहमो करम नहीं छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह शक्तियां अपने मुनाफे के लिए तरह तरह की साजिशें करती हैं, नाना प्रकार के हथकंडे इस्तेमाल करती हैं कृषि बाज़ार पर सरकार का नियंत्रण बहुत ज़रूरी है ताकि किसान और उपभोक्ता के हितों की रक्षा हो सके|

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