हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार को देश की आध्यत्मिक राजधानी भी कहा जाता है. हरिद्वार यूँ तो अपने संतों और आश्रमो की नगरी मानी जाती है. लेकिन पिछले कुछ समय से धर्मनगरी हरिद्वार के संत और उनका माया मोह चर्चा का विषय बना हुआ है. संत और संपत्ति के होते विवाद ने पिछले दो दशक में करीब दो दर्जन से भी अधिक संतों की बलि ली है. आलम यह है कि आश्रमों में कब्जे को लेकर कई बार संत आमने सामने दिखाई देतेहै. गुरुवार को भी हरिद्वार के कनखल थाना क्षेत्र के निर्मल अखाड़े में साधु संतों के दो गुटों में अखाड़े में कब्जे को लेकर टकराव से हुआ. आलम यह था कि पुलिस को टकराव को टालने के लिए हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा.
संगत के बहाने कब्जे की कोशिश
गुरुवार को निर्मल अखाड़े में संगत थी सभी भक्त संगत में शामिल होने के लिए पहुंचरहे थे. लेकिन अचानक से वहां हंगामा शुरू हो गया. दरअसल निर्मल अखाड़े के वर्तमान में काबिज ज्ञानदेव सिंह का विरोध करने के लिए रेशम सिंह गुट के संत अखाड़े में संगत के बहाने अंदर आ गए थे. जिन्होंने अखाड़े के दरवाजों को अंदर से बंद कर दिया. हंगामा बढ़ते देख मौके पर पुलिस फोर्स पहुँच गई.
ज्ञानदेव सिंह के कोठारी जसविंदर सिंह ने कहा कि आज पंजाब से कुछ संत अस्थि विसर्जन के नाम पर अखाड़े में कब्जे की नियत से अखाड़े में घुस आए. जिनके द्वारा अखाड़े के संतों पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं उन्होंने कहा कि जो संत आज अखाड़े में कब्जा करने की नियत से घुसे हैं उनके द्वारा अखाड़े की कई संपत्तियों पर पूर्व में कब्जा किया जा चुका है.
आश्रम अखाड़ों में सम्पत्ति को लेकर हुआ यह कोई पहला विवाद नहीं है इससे पहले भी प्रॉपर्टी को लेकर संतों के बीच बड़े विवाद समाने आ चुके है. यही नहीं कई बार खूनी घटनाएं भी घट चुकी है.