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रील वाले राम की रहस्यमयी X पोस्ट

आर्टिकल/इंटरव्यूरील वाले राम की रहस्यमयी X पोस्ट

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अमित बिश्नोई
लोकसभा चुनाव में मेरठ से बीजेपी प्रत्याशी अरुण गोविल की एक्स पर एक पोस्ट ने मेरठ में विवाद की आग भड़का दी है. आज सुबह, गोविल ने हिंदी में एक पोस्ट को शेयर किया, जिससे क्षेत्र में भाजपा के चुनावी भाग्य पर इसके प्रभाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गईं। हालाँकि अरुण गोविल ने विवाद खड़ा होने पर उस पोस्ट को अपने एक्स हैंडल से डिलीट कर दिया है लेकिन उसका स्क्रीन शॉट वायरल हो गया है.

इस पोस्ट में अरुण गोविल ने लिखा है, “जब किसी का दोहरा चरित्र सामने आता है, तो उससे अधिक स्वयं पे क्रोध आता है कि हमने कैसे आंख बंद करके ऐसे आदमी पर भरोसा किया। जय श्री राम।” इस पोस्ट के रहस्मयी सन्देश में अरुण गोविल किस पर दोहरे चरित्र का आरोप लगा रहे हैं वो कौन है जिसपर उन्होंने आँख मूंदकर भरोसा किया और उसने उन्हें धोखा दिया। अरुण गोविल ने हालाँकि इस पोस्ट को हटा दिया लेकिन उसका स्क्रीन शॉट लोगों के पास मौजूद है. 28 अप्रैल को सुबह 7 बजे अरुण गोविल ने ये रहस्मयी पोस्ट की, लेकिन जब तक इस पोस्ट को हटाते 1 लाख 33 हज़ार लोग इसे देख चुके थे और 490 लोग इसे रिपोस्ट कर चुके थे. जंगल में आग की तरह ये पोस्ट फैली थी. अरुण गोविल की इस पोस्ट ने मेरठ भाजपा के बारे में बहुत कुछ कहने की कोशिश की है. लोग अटकलें लगा रहे हैं कि क्या मेरठ में रील वाले राम को धोखा मिला है जो वो अपनी भावनाओं को काबू में नहीं रख सके और उसका इज़हार अपने सोशल अकाउंट पर कर दिया।

दरअसल इस बात को हवा तब और लगी जब मतदान के बाद अरुण गोविल ने मेरठ को छोड़ दिया और मुंबई के लिए निकल गए. बताया गया कि कोई ज़रूरी काम है लेकिन इस पोस्ट ने उनके इस बहाने को झूठा साबित किया है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि बीच चुनाव में वो इस तरह की पोस्ट लिखकर कैसे क्षेत्र को छोड़कर जा सकते हैं. क्या भाजपा को अब उनकी चुनाव में कोई ज़रुरत नहीं रह गयी है. या रील वाले राम का मन निराश हो गया है. सवाल ये भी है कि अगर उन्होंने पोस्ट कर भी दी तो उसे हटाने की क्या ज़रुरत पड़ी, क्या पोस्ट की जो भाषा है उसमें उनका दर्द छुपा है या फिर ये एक त्वरित प्रतिक्रिया भर थी जो किसी पर निकाली गयी थी और गलती का एहसास होने पर उसे उन्हें हटाना पड़ा.

अरुण गोविल को भाजपा ने बड़ी उम्मीद्दों के साथ मेरठ से मैदान में उतारा था, अपने तीन बार के सिटिंग सांसद का टिकट काटकर उन्हें मैदान में उतारा था, सोच था सिर्फ मेरठ ही नहीं अड़ोस पड़ोस की लोकसभा सीटों पर भी उनके आकर्षण को कैश कराया जायेगा, लेकिन रामायण सीरियल वाले राम लोगों को आकर्षित करने में नाकाम दिखे, उनका आकर्षण मेरठ वासियों को मतदान के दिन घर से न निकाल सका, मतदान बढ़ना तो दूर पुराना मत प्रतिशत भी बरकरार न सका. दुसरे चरण की अन्य लोकसभा सीटों की तरह मेरठ में भी मतदान पिछले मतदान की तुलना में 5.59 प्रतिशत कम रहा. ये कम मत प्रतिशत भाजपा के लिए एक खतरे की घंटी हो सकता है.

अरुण गोविल की इस रहस्मयी पोस्ट में वो रहस्मयी व्यक्ति कौन है इसपर अभी पर्दा पड़ा हुआ है, प्रदेश भाजपा के बड़े नेता भी इस पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है, वो तो ऐसी किसी पोस्ट से भी इंकार कर रहे हैं, दिखाने पर उल्टा सवाल कर रहे हैं कि ये पोस्ट असली है इसका क्या सबूत है. लेकिन बात अब सबूत से आगे की है, रील वाले राम की इस पोस्ट से मेरठ भाजपा की अंतरकलह तो स्पष्ट रूप से सामने आ चुकी है. बहरहाल ये पूरा एपिसोड रील वाले राम के राजनीतिक भविष्य की ओर साफ़ इशारा कर रहा है कि मेरठ के लोग ही नहीं पार्टी के लोग भी उनके साथ नहीं है.

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