नई दिल्ली। निेवेश के लिए रुपए को अच्छी जगह लगाने में काफी दुविधा होती है। बाजार में बहुत से निवेश विकल्प हैं। सब स्कीम में कुछ खूबियां हैं तो कुछ खामियां हैं। इसी वजह से निवेशक उलझन में रहते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी और डेट म्यूचुअल फंड में से किसे चुनना चाहिए। इसे लेकर लोग अक्सर आशंकित होते हैं। दोनों एक जैसे ही हैं। हालांकि, ऐसा है नहीं, फिक्स्ड डिपॉजिट को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। इसकी एक खामी यह है कि इसमें रिटर्न बहुत ज्यादा नहीं मिलता।
एफडी के मुकाबले म्यूचुअल फंड देता है अधिक रिटर्न
देखा गया है कि एफडी के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड ने अधिक रिटर्न देते हैं। डेट फंड को छोटी अवधि का निवेश माना जाता है। डेट फंड में बाजार से जुड़ा है रिस्क है। देश के प्रमुख बैंक 1 से 5 साल की फिक्स्ड डिपॉजिट पर 7.5 प्रतिशत तक ब्याज दे रहे हैं। आमतौर पर डेट फंड का रिटर्न बैंक एफडी से ज्यादा होता है। अगर इन दोनों में से किसी एक में पैसा लगाना चाहते हैं, तो पहले इनके रिटर्न, जोखिमों और टैक्सेशन के बारे में जानना जरूरी है।
जानकारों का कहना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर डेट फंड पर ज्यादा होता है। सेकेंडरी मार्केट में बॉन्ड यील्ड ब्याज दरों में परिवर्तन पर तेजी से रिएक्ट करती है। वहीं, एफडी की ब्याज दरें देरी से बढ़ती हैं। हालांकि, डेट फंड रिटर्न की गारंटी नहीं देते हैं। वहीं, एफडी में रिटर्न की गारंटी होती है।
एफडी में लगाई रकम पूरी तरह से सुरक्षित
फिक्स्ड डिपॉजिट में लगाई गई 5 लाख रुपये तक की रकम पर पूरी तरह सुरक्षित होती है। लेकिन, डेट फंड में ऐसी कोई गारंटी नहीं मिलती।
एफडी में निवेश करने पर कोई चार्ज नहीं लगता है। वहीं डेट फंड में निवेश पर रिकरिंग एक्सपेंस रेश्यो चार्ज लगता है। यह एक फीसदी तक हो सकता है।
जानकारों का कहना है कि डेट म्यूचुअल फंड में निवेश पर अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का फायदा नहीं मिलेगा। अब इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में ला दिया गया है। डेट फंड में कोई टीडीएस भी नहीं लगता है। फिक्स्ड डिपॉजिट में अगर इंट्रेस्ट इनकम एक वर्ष में 40 हजार रुपये से ज्यादा है तो बैंक 10 फीसदी टीडीएस काटता है। एक टैक्सपेयर्स जो टैक्स के भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है उसे टीडीएस बचाने के लिए फॉर्म-15 एच या 15-जी जमा करना होगा।