अधिक से अधिक सुबूत जुटाने के लिए जांच टीम का नया तरीका
कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड पर एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ८० अफसरों पर गाज गिरना लगभग तय माना जा रहा है। इस बीच रविवार को कानपुर पुलिस ने गांव में पोस्टर चस्पा किया।
पोस्टर के जरिए पुलिस ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि बिकरू कांड से संबंधित किसी भी तरह की लिखित या मौखिक सूचना थाना चौबेपुर या जांच आयोग टीम (एसआईटी) लखनऊ को दे सकते हैं। पोस्टर में यह भी प्रदशिर्त किया गया है कि इच्छुक व्यक्ति लखनऊ शहीद पथ ,रमाबाई मैदान के निकट वीआईपी गेस्ट हाउस के कमर नं २०२ में आ कर गवाही दे सकता है। वहां जाने में अक्षम व्यक्ति थाना चौबेपुर पर भी सूचना को साझा कर सकता है। वहीं चस्पा की गयी नोटिस में सूचना कर्ता का नाम गोपनीय रखे जाने का भरोसा दिया गया है।
गौरतलब है कि एसआईटी की रिपोर्ट पर जल्द ही बड़ी कार्रवाई होने के आसार हैं। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक इन विभागों के अफसरों ने न सिर्फ मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे की गतिविधियों पर चुप्पी साधे रखा बल्कि उसे प्रोत्साहित भी किया है। दरअसल २ जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत ८ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी।
जिसके बाद एक एनकाउंटर में विकास दुबे भी मारा गया था। विकास दुबे और उसके करीबियों की संपत्तियों की जांच में ईडी लगी हुई है और उनके सहयोगियों से पूछताछ जारी है कि बताया जायं कि यह संपत्ति इतने कम समय में कैसी बनायी है और इसका खुलासा जल्द किया जायं।
तत्कालीन एएसपी ग्रामीण व एसएसपी गाज गिरनी तय कानपुर के बिकरू कांड पर एसआईटी की रिपोर्ट पर जल्द ही शासन बड़ी कायर्वाही के मूड में दिख रहा है। एसआईटी ने तत्कालीन एएसपी ग्रामीण व एसएसपी पर एक्शन लेने की सिफारिश की गयी है। सूत्रों की माने तो बिकरू कांड में एक पूर्व सीओ को भी लापरवाही का दोषी पाया है।
लखनऊ में तैनात एक इंस्पेक्टर भी जांच टीम के रडार पर है। १२ पुलिस कर्मी भी जय बाजपेयी के संबंधों की वजह से कार्रवाई में लिप्त नजर आ रहे है । एएसपी की जांच में १२ पुलिसकर्मी विभिन्न मामलों में दोषी ठहराए गए थे। उन्होंने यह भी लिखा था कि कुछ पुलिस वाले जय बाजपेयी के घर में रहते हैं।
एसआइटी की जांच में एएसपी केसी गोस्वामी की जांच रिपोर्ट जय बाजपेयी से संबंधित मुकदमों में पुलिस कार्यवाही, पासपोर्ट व लाइसेंस बनने में इस्तेमाल हुए दस्तावेज, संपत्ति के दस्तावेजों पर सवाल उठाए थे।