बिहार की मौजूदा राजनीति पर जदयू विधायक गोपाल मंडल ने कल एक बात कही कि नितीश कुमार को इंडिया अलायन्स में वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हक़दार थे, हालाँकि वो ये नहीं बता पाए कि नितीश कुमार को किस तरह का सम्मान मिलना चाहिए था क्योंकि किसी भी नवगठित मोर्चे या गठबंधन में सबसे बड़ा पद संयोजक का होता है और वो पद सबसे पहले नितीश कुमार को ही ऑफर किया गया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. अब इससे ज़्यादा क्या सम्मान चाहिए। प्रधानमंत्री पद की बात है तो बकौल कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, उसके लिए पहले चुनाव जीतना ज़रूरी है. तो बात अभी पैदा ही नहीं होती। वैसे भी नितीश कुमार बार बार इस बात को दोहराते रहे हैं कि उन्हें प्रधानमत्री पद की कोई इच्छा नहीं है. तो फिर नितीश कुमार को और किस तरह का सम्मान चाहिए।
गोपाल मंडल मुताबिक नितीश कुमार जहाँ जायेंगे सभी उनके पीछे जायेंगे, यानि मर्ज़ी हो या न हो, मन करता हो या न करता हो, सत्ता के लिए नेता का हर फैसला मंज़ूर। उनकी इस बात में ज़रूर दम है कि लोग अपने वजूद को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. कहने का मतलब नितीश कुमार की हालात इस वक्त अपना वजूद बचाने की रह गयी है। आठ बार के मुख्यमंत्री के लिए उसकी पार्टी के विधायक अब उनके वजूद की बात करने लगे. खैर गोपाल मंडल की बातों ने इस बात पर मुहर लगा ही दी कि नितीश कुमार मौजूदा गठबंधन से बाहर हो रहे हैं और एकबार फिर पुराने गठबंधन से फिर गठबंधन करने जा रहे हैं, आप इसे घर वापसी भी कह सकते हैं।
जेडीयू की सहयोगी राजद ने भी मान लिया है कि उसे एकबार फिर विपक्ष में बैठना है, राजद विधायक रितल यादव के मुताबिक उनकी पार्टी सत्ता में नहीं होने पर भी बिहार के लोगों के लिए काम करेगी। रितल यादव ने कहा कि उनके नेता लालू प्रसाद यादव ने किसी को धोखा नहीं दिया। हम सरकार में रहें या न रहें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम जनता के लिए काम करेंगे। वहीँ आरएलजेडी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाह ने दावा किया कि नीतीश कुमार महागठबंधन से बाहर आने को छटपटा रहे हैं। इन सबके बीच जेडीयू के विभाजन की भी ख़बरें गश्त कर रही हैं, हालाँकि पार्टी ने इससे इंकार किया है.