नई दिल्ली। ईरान और सऊदी अरब सात साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोस्त बन गए हैं। आज शुक्रवार को दोनों देशों के बीच सात साल की शत्रुता के बाद फिर से मैत्री संबंधों को स्थापित करने पर सहमति बनी है। दोनों देशों की बीच दुश्मनी से खाड़ी में सुरक्षा का खतरा पैदा हो गया था। इससे यमन से सीरिया तक मध्य पूर्व में ईंधन संघर्ष हो रहे थे। दोनों प्रतिद्वंद्वी के मध्य पूर्व शक्तियों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के बीच बीजिंग में चार दिनों की अज्ञात वार्ता के बाद समझौते की घोषणा की गई।
दोनों देश खोलेंगे एक-दूसरे के यहां अपना दूतावास
ईरान और सऊदी अरब व चीन द्वारा जारी बयान के अनुसार, तेहरान और रियाद के बीच राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है। इसके तहत दोनों देश दो महीने से कम अवधि के भीतर अपने दूतावासों और मिशनों को फिर से खोलने पर सहमत हुए हैं। समझौते में देशों की संप्रभुता के सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की पुष्टि शामिल है।
ईरान और सऊदी अरब क्यों एक-दूसरे के दुश्मन?
सऊदी अरब ने 2019 में तेल सुविधाओं पर मिसाइल और ड्रोन हमलों के साथ खाड़ी के पानी में टैंकरों पर हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। जबकि ईरान ने इन आरोपों से इंकार किया था। यमन के ईरान-गठबंधन हौथी आंदोलन ने अक्सर सऊदी अरब पर सीमा पार से मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं। जिसने हौथियों से लड़ने वाले गठबंधन का नेतृत्व किया है। 2022 में संयुक्त अरब अमीरात तक हमले किए थे।
चीन ने दिया धन्यवाद
शुक्रवार को हुए समझौते में सऊदी अरब और ईरान ने 2001 में हस्ताक्षरित सुरक्षा सहयोग समझौते को सक्रिय करने पर सहमति जताई। इसी के साथ व्यापार, अर्थव्यवस्था और निवेश पर समझौता किया। दोनों देशों ने 2021 और 2022 में पहले की वार्ता की मेजबानी के लिए चीन को धन्यवाद दिया।
अमेरिका ने समझौता का स्वागत किया
समझौते पर ईरान के सुरक्षा अधिकारी, अली शामखानी और सऊदी अरब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मुसाद बिन मोहम्मद अल-ऐबन ने हस्ताक्षर किए है। अमेरिका के व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता ने कहा कि हम समझौते की रिपोर्टों से अवगत हैं। व्हाइट हाउस ने कहा यमन में युद्ध समाप्त करने और मध्य पूर्व में तनाव कम करने में मदद करने के किसी भी प्रयास का हम स्वागत करते हैं।