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SEPC: म्यूचुअल फंड में बढ़ा 25% निवेश, 2023-24 में निर्यात 400 अरब डॉलर पार!

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नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में देश का सेवा निर्यात 2021-22 के 254 अरब डॉलर से 42 फीसदी बढ़कर 322.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। ऐसी उम्मीद SEPC ने जताई है।
देश सेवाओं का निर्यात 2023-24 में 400 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (एसईपीसी) ने उम्मीद जताई है। 2022-23 के दौरान सेवा निर्यात में उल्लेखनीय उछाल से उत्साहित एसईपीसी ने आज कहा कि वृद्धि का मजबूत रुख जारी रहेगा।

सेवा क्षेत्र में रखा 300 अरब डॉलर का लक्ष्य

वाणिज्य मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में देश का सेवा निर्यात 2021-22 के 254 अरब डॉलर से 42 फीसदी बढ़कर 322.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। एसईपीसी के चेयरमैन सुनील एच तलाती ने कहा, सेवा क्षेत्र ने 300 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा था। अब यह 322 अरब डॉलर पहुंच गया है। अंतिम आंकड़ों में यह 350 अरब डॉलर को छू सकता है।

इस्पात कंपनियों ने चुकाया 7,673 करोड़ बकाया

सरकारी इस्पात कंपनियों ने सूक्ष्म, लघु व मझोले (एमएसएमई) उपक्रमों का बकाया चुका दिया है। इन कपंनियों ने 2022-23 में विभिन्न एमएसएमई को 7,673.95 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह राशि 2021-22 में चुकाए गए 5,511.07 करोड़ से 39.3 फीसदी ज्यादा है। इस्पात मंत्रालय ने बुधवार को कहा, इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों ने मार्च, 2023 में एमएसएमई को 876.10 करोड़ का भुगतान किया है।

म्यूचुअल फंड में निवेश 25 फीसदी बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपये

म्यूचुअल फंड उद्योग में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये निवेश 2022-23 में 25 फीसदी की वृद्धि के साथ 1.56 लाख करोड़ पहुंच गया। इससे पता चलता है कि बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद एसआईपी पर खुदरा निवेशकों का भरोसा बना हुआ है। एम्फी के अनुसार, 2021-22 में एसआईपी से 1.24 लाख करोड़ और 2020-21 में 96,080 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। म्यूचुअल फंड में एसआईपी से संग्रह सात वर्ष में तीन गुना हो गया है। 2016-17 में यह 43,921 करोड़ था।

क्रूड के घरेलू उत्पादन पर देना होगा अप्रत्याशित लाभ कर

सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल पर फिर से अप्रत्याशित लाभ कर लगा दिया है। हालांकि, डीजल निर्यात पर शुल्क को 50 पैसे प्रति लीटर से घटाकर शून्य कर दिया गया है। विमान ईंधन पर निर्यात शुल्क शून्य पर ही रहेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दाम में तेजी के साथ यह कदम उठाया गया है। इसके तहत ओएनजीसी जैसी कंपनियों के उत्पादित क्रूड पर 6,400 रुपये प्रति टन शुल्क लगेगा। इससे 2023-24 में सरकार को 15,000 करोड़ मिल सकते हैं। 

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