लखनऊ। एक सितंबर की तारीख तमाम बदलाव लेकर आयी है। कुछ नये नियमों के साथ अपनी पुरानी आदतों या कहें रोजमर्रा की कार्यशैली को बदलना होगा। असल में कुछ खास नियमों को जेहन में रखना जरूरी हो जाएगा जिन्हें सितंबर से लागू और अनिवार्य होना है। संभावना है कि, आधार-पैन लिंकिंग, ईपीएफ नियमावली, बैंकिंग पॉलिसी और रसोईं गैस की कीमतों के अलावा, तमाम अन्य बदलाव हो जाय जिससे सभी की रोजमर्रा की जीवनशैली पर असर पड़े।
बदलावों के इस क्रम में एक सितंबर से, नियोक्ता भविष्य निधि (पीपीएफ) की अपनी हिस्सेदारी को तभी जमा करवा सकेंगे,जब कर्मी का आधार कार्ड नंबर उनके यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) से जुड़ा हो। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानि ईपीएफओ ने सोशल सिक्योरिटी संहिता, 2020 की धारा 142 में संशोधन किया है, जिसने तमाम सेवाओं का फायदा उठाने, भुगतान प्राप्त करने और प्रॉफिट प्राप्त करने के लिए आधार-पीएफ लिंकिंग को आवश्यक बना दिया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अगर आधार-पीएफ लिंकिंग नहीं होगी तो न तो नियोक्ता और न ही कर्मी के योगदान को पीएफ खातों में जमा किया जाएगा।
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एक दूसरे बदलाव के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक से एक जारी नोटिफिकेशन अनुसार सभी ग्राहकों को 30 सितंबर तक अपने पैन कार्ड को अपने आधार से लिंक करना ही होगा। ऐसा न करने पर उसकी एसबीआई अकाऊंट होल्डर के रूप में पहचान निरस्त हो जाएगी। ऐसे में उन्हें कुछ लेनदेन करने से रोका जा सकेगा। नोटिफिकेशन के मुताबिक, एक ही दिन में 50,000 या अधिक जमा करने के लिए पैन आवश्यक होगा। जो ग्राहक इससे भी अधिक राशि का लेनदेन करना चाहते हैं, उन्हें अपने आधार और पैन को इंकम टैक्स की वेबसाइट पर तयशुदा तारीख तक लिंक करना ही होगा।
इतना ही नहीं याद हो, अगस्त में रसोई गैस की कीमत में 25 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़त की गई थी। इससे पहले, जुलाई महीने में भी रसोई गैस सिलेंडर की दरों में 25.50 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि, घरेलू गैस की कीमतों में लगातार दो महीने इजाफा देखा गया है, ऐसे में उम्मीद है कि यह प्रवृत्ति सितंबर में भी जारी रहेें। कुल मिलाकर इस साल जनवरी से घरेलू गैस की कीमतों में 165 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़त रही है।
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नये महीने में परिवर्तनों के इस क्रम में आरबीआई ने किसी भी धोखाधड़ी को रोकने के लिए जारीकर्ता की डिटेल्स को सत्यापित करने के लिए 2020 में चेक समाशोधन के लिए एक नई सकारात्मक सेलरी पॉलिसी तय की है। हालांकि, यह पॉलिसी इस साल 1 जनवरी को लागू की गई थी।