Air Pollution: नए अध्ययन में सामने आया है कि गर्भ में शिशु के रहते वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से शरीर में मौजूद प्रोटीन में बदलाव आ रहा है। यह बदलाव कोशिकाओं से जुड़ी ‘ऑटोफैगी’ जैसी प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण शिशुओं की कोशिकाओं को प्रभावित कर रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के कणों के संपर्क में आने से जन्म के समय नवजातों का वजन सामान्य से कम हो रहा है। जिसकी वजह से जन्म के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो सकती है।
इसके अलावा वायु प्रदूषण के कारण जन्म के समय अस्थमा, फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रहा है। नवजात बच्चों में सासों का संक्रमण और एलर्जी के साथ अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ता है। यूनिवर्सिटी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल स्विटजरलैंड की शोधकर्ता डॉ. ओल्गा गोरलानोवा के नेतृत्व में हुए एक नए अध्ययन में शिशु के गर्भ में रहते हुए वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से नवजात के शरीर में मौजूद प्रोटीन में बदलाव आया है। यह बदलाव कोशिकाओं से जुड़ी ‘ऑटोफैगी’ प्रक्रियाओं को प्रभावित कर रहा है। प्रक्रिया कोशिकाओं को स्वास्थ्य रखने में मदद करती है। जरूरत पड़ने पर यह शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करती है। प्रदूषण से शिशुओं में फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार खराब धुंध वाले बड़े शहरों में रहने वाले बच्चों के लिए प्रदूषण कई तरह से खतरनाक है।
इस तरह किया अध्ययन
अध्ययन के दौरान 450 नवजात शिशुओं के गर्भनाल में मौजूद खून और उसमें पाए गए 11 प्रोटीनों की पड़ताल की गई। इस बात की जांच की है कि गर्भावस्था के दौरान माताएं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम10) के कितने महीन संपर्क में रही थीं। ये कण वाहनों से निकले धुएं, टायर-ब्रेक के घिसाव और धुएं जैसे स्रोतों से पैदा हुए। अध्ययन में पाया गया कि ये कण नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पीएम10 के कण ऑटोफैगी से जुड़े प्रोटीन में आ रहे बदलावों से संबंधित थे।
स्थायी विकलांगता की संभावना
अन्य अध्ययन में निष्कर्ष निकला कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण के सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से नवजात का वजन सामान्य से कम रह सकता हैं जो जन्म के तुरंत बाद उनकी मृत्यु का कारण भी बन सकता है। अगर शिशु मौत के मुंह से बाहर आ जाए तो वह स्थायी विकलांगता का शिकार होता है। 59 लाख शिशुओं का जन्म समय से पहले जर्नल प्लोस मेडिसिन के शोध के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण हर साल दुनिया भर में करीब 59 लाख शिशुओं का जन्म समय से पहले होता है।
ये सुझाव दिए
घर में मौजूद कुछ चीजें जैसे परफ्यूम और पेंट में पीएम 2.5 के कण होते हैं जो सांस के द्वारा शरीर में अंदर जाने पर नुकसानदायक साबित होते हैं। गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को इनसे दूर रखना चाहिए। केमिकल वाली चीजों की बजाय नैचुरल प्रोडक्ट्स का उपयोग करना चाहिए। शोध के अनुसार भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण हर साल दो लाख से ज्यादा शिशुओं को गर्भ में मार रहा है।