depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

Air Pollution: बच्चों के मानसिक विकास पर असर डाल रहा वायु प्रदूषण, वर्किग मेमोरी भी प्रभावित

उत्तर प्रदेशAir Pollution: बच्चों के मानसिक विकास पर असर डाल रहा वायु प्रदूषण,...

Date:

नई दिल्ली। तमाम शोध वायु प्रदूषण को सेहत के लिए हानिकारक बता चुके हैं। हालांकि, यह पहली बार है, जब वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों के मानसिक विकास पर बुरे असर की पुष्टि हुई है। ब्रिटेन की ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी और उत्तर प्रदेश की कम्युनिटी एंपावर्ड लैब ने बरेली के पास शिवगढ़ में घरेलू प्रदूषण का बच्चों की मानसिक सेहत पर अध्ययन किया।

दृश्यात्मक संज्ञान क्षमताएं प्रभावित

ईलाइफ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि जिन घरों में खाना पकाने के लिए कोयले और लकड़ी जैसे ठोस ईंधन का इस्तेमाल होता है, वहां वायु गुणवत्ता बहुत खराब रहती है। इससे बच्चों की दृश्यात्मक संज्ञान क्षमताएं प्रभावित होती हैं। प्रमुख शोधकर्ता, एंग्लिया यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर जॉन स्पेंसर ने बताया कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों का मानसिक विकास चरम पर होता है।

इस दौरान लगातार प्रदूषित हवा के संपर्क में बने रहने से उनकी संज्ञानात्मक क्षमताओं के विकास पर बुरा असर पड़ता है।शोध में पता चला है कि हवा में मौजूद बारीक प्रदूषक कण श्वसन पथ से मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं, जिससे बच्चों का मानसिक विकास अवरुद्ध होने लगता है। प्रदूषण की वजह से इन संज्ञानात्मक क्षमताओं पर स्थायी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

प्रदूषित माहौल में रहने वाले बच्चों में यह दिखी समस्या

प्रो. स्पेंसर ने बताया कि शोध के दौरान बच्चों को दो डिस्प्ले बोर्ड पर चमकीले रंगीन वर्ग दिखाए गए। एक बोर्ड पर हमेशा समान रंग के वर्ग दिखाए गए, जबकि दूसरे पर अलग-अलग रंग के वर्ग प्रदर्शित किए गए। इससे बच्चों की रंग बदलने वाले वर्गों की पहचान की क्षमता को आंका गया। इस दौरान, जो बच्चे प्रदूषित माहौल में थे वे वर्गों की पहचान ठीक से नहीं कर पाए।
प्रो. स्पेंसर कहते हैं कि शोध के नतीजे दुनियाभर में वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों की जरूरत को उभारते हैं। खासातौर पर घरों में खाना-पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रदूषक स्रोतों पर नियंत्रण जरूरी है।

215 बच्चों पर हुआ अध्ययन

अब तक माना जाता था कि प्रदूषण संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्रभावित करता है। हालांकि, इसके ताउम्र प्रभाव और प्रदूषक कणों के मस्तिष्क तक पहुंचने की बात पहली बार सामने आई है। अक्तूबर 2017 से जून 2019 के दौरान शिवगढ़ में अलग-अलग सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के दो वर्ष से कम उम्र के 215 बच्चों पर अध्ययन किया गया। अध्ययन में खासतौर पर बच्चों की विजुअल वर्किंग मेमोरी और विजुअल प्रोसेसिंग स्पीड का आकलन किया गया।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

Nora Fatehi ने ढाया फैंस के दिलों पर कहर!

एंटरटेनमेंट डेस्क। Nora Fatehi अपने डांस मूव्स और हॉटनेस...