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Covid 19: कोविड मरीजों में बढ़ा अस्थमा का खतरा, सांस की नली और फेफड़ों पर ज्यादा असर

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Covid 19: कोरोना महामारी की चपेट में आए लोगों को अब अस्थमा अपनी चपेट में ले रहा है। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में अस्थमा की शिकायत दिनों दिन तेजी से बढ़ रही है। एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि एयर पॉल्यूशन के कारण कोरोना संक्रमित मरीज ब​हुत जल्द अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं। जिसकी वजह से पोस्ट कोविड युवाओं में बूढ़ापे के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। रिसर्च में कहा कि जहरीली हवा के संपर्क में आने वालों को कोविड-19 में बिल्कुल वैसा एक्सपीरिएंस हुआ जैसा उनके 10 साल बड़े व्यक्ति को हुआ। साफ हवा में सांस लेने वाले मरीजों की तुलना में प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले पोस्ट कोविड 4 दिन अधिक अस्पताल में भर्ती रहते हैं।

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि प्रदूषित हवा उनकी सांस नली और फेफड़ों पर सीधा असर डाल रही है। एक तो वो पहले से कोरोना संक्रमण जैसी गंभीर बीमारी को झेल चुके हैं। वहीं दूसरी ओर प्रदूषित हवा से सांस और फेफड़े पहले से कमजोर होने पर अधिक संक्रमित हो रहे हैं। इससे अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

एक अन्य रिसर्च में कहा है कि वातावरण और डिप्रेशन का असर भी ऐसे लोगों पर अधिक हो रहा है। मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के अनुसार आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित शहरी इलाकों और डिप्रेशन में रहना जल्द ही ऐसे मरीजों को बूढ़ा कर रहा।

वायु प्रदूषण से 36 प्रतिशत अधिक बीमार पड़ते हैं

बेल्जियम की एक रिसर्च के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण लोग 36 प्रतिशत अधिक बीमार पड़ते हैं। डेनमार्क में हुई एक रिसर्च में कहा कि वायु प्रदूषण के कारण कोविड-19 मरीजों की मौत का रिस्क 23 प्रतिशत बढ़ गया है।

300 कोविड-19 मरीजों पर शोध

रिसर्च ने मई 2020 से मार्च 2021 के बीच अस्पताल में भर्ती 300 कोरोना मरीजों पर शोध किया। इनके घरों में पाए गए तीन प्रदूषकों- सूक्ष्म कण, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और राख से जुड़ा अंश प्राप्त किया। इसके अलावा संपर्क में आने वाले प्रदूषण के लेवल को रिकॉर्ड किया।
रिसर्च में पाया गया कि अस्पताल में भर्ती होने के एक सप्ताह पहले जो लोग प्रदूषण के अधिक लेवल के संपर्क में आए वो प्रदूषण के कम लेवल (25%) के संपर्क में आने वालों की तुलना में 4 दिन अधिक अस्पताल में भर्ती रहे। रिसर्च में पाया गया कि वायु प्रदूषण के निम्न स्तर के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य में सुधार हुआ। जो रेमडेसिविर जैसी कोविड के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं के 40-80 प्रतिशत लाभ के बराबर था।

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