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मोदी सरकार की सत्ता में वापसी नहीं! बाजार में क्‍या होगा, कैसे बनेगा पैसा? जानिए खास रपट

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Lok sabha Election 2024: देश में होने वाले प्रमुख चुनावों का असर शेयर बाजार पर दिखाई देता है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है। अब इन राज्यों के चुनाव परिणाम पर देश की निगाहें लगी हुई हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल हैं। विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद बहुत कुछ देश के आम चुनाव के लिए स्थिति स्पष्ट होगी। ऐसा राजनीति जानकारों का मानना है। वहीं अब सभी प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक है कि अगर 2024 में मोदी सरकार की सत्ता में वापसी नहीं हुई तो बाजार का क्या होगा। कैसे पैसा बनेगा? देश की योजनाओं और परियोजनाओं का क्या होगा।

मोदी सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रही है। देश अगले आम चुनाव के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लगातार दो बार पूरे बहुमत की सरकार केंद्र में भाजपा चला चुकी है। अब भाजपा अगले आम चुनाव 2024 में सहयोगियों के साथ फिर से वापसी की कोशिश में है। देश के आम चुनाव के नतीजे जो भी रहे हो। इनका शेयर बाजार पर जबरदस्त असर दिखाई देता है। बाजार और चुनाव का खास रिश्‍ता है। चुनाव के पहले और बाद में बाजार में आमतौर पर उतार-चढ़ाव रहता है। मोदी सरकार सत्ता में नहीं लौटी तो बाजार को बड़ी गिरावट का डर है। हालांकि बाजार खराब खबर को तुरंत डिस्काउंट करते हैं और तेज रिकवरी दिखाते हैं.

बाजार और चुनाव का क्या नाता?

बाजार के जानकारों का मानना है कि छोटी अवधि में बाजार पर आम चुनाव का असर दिखता है। छोटी अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव होता है। ऐसे में निवेशकों को उतार-चढ़ाव का फायदा उठाना चाहिए। निवेशक लंबी अवधि का नजरिया रखकर बाजार का ट्रेंड पकड़ें।

बुरी खबर से गिरावट का कितना डर?

विश्श्लेकों का मानना है कि मोदी सरकार सत्ता में नहीं लौटी तो बाजार को बड़ी गिरावट का डर है। लेकिन शेयर बाजार का पिछला रिकार्ड देखे तो ऐसा नहीं है। कोविड में बाजार तेजी से गिरे लेकिन फिर कोविड में लाइफ हाई बना। जिस बाजार ने कोविड झेल लिया उसके लिए चुनाव बड़ी चीज नहीं है।

1999 इलेक्शन के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड

1999 में वाजपेयी सरकार आई थी। उनका विनिवेश पर जोर था। चुनाव के 6 महीने पहले निवेश पर बाजार ने 16 प्रतिशत रिटर्न दिया। बाजपेयी सरकार बनने के बाद बाजार में 2 प्रतिशत का रिटर्न आया। ऐसे में निवेश के लिए इलेक्शन तक रुकते तो चुनाव बाद बड़े पैसे नहीं बनते।

2004 आम चुनाव के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड

2004 के लोकसभा चुनाव बाजार को समझने के लिए सबसे अच्छा है। UPA-1 में बाजार में विनिवेश रुकने के डर से नीचे सर्किट लगा था। UPA-1 आने के बाद बाजार 25 प्रतिशत तक लुढ़क गए। क्रिस वुड का डर UPA-1 के समय आई तेज गिरावट के चलते रहा। UPA-1 के समय बाजार 25 प्रतिशत गिरे जरूर लेकिन उस साल भी 20 प्रतिशत रिटर्न बाजार ने दिया। इसी बाजार को डर है कि अगर मोदी सरकार वापस नहीं आई तो क्या होगा।

2009 आम चुनाव के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड

UPA-2 के बाद 80 प्रतिशत रिटर्न बाजार में दिखा। जो कम बेस के चलते थे। 2008 के संकट के चलते 2009 की तेजी बड़ी दिख रही थी। बाजार सिर्फ चुनाव से नहीं, ग्लोबल कारणों से प्रभावित होता रहा।

2014, 2019 चुनाव के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड

चुनाव के 6 महीने पहले बाजार 18 प्रतिशत दौड़ चुका था। मोदी के PM बनने के बाद बाजार 16 प्रतिशत और चढ़ा। 6 महीने पहले-बाद मिलाकर बाजार ने कुल 37 प्रतिशत रिटर्न दिए। 6 महीने पहले से 6 महीने बाद तक डटे रहने वालों ने जमकर कमाई की। शेयर बाजार की उठापटक में बने रहने वालों ने जमकर पैसे बनाए। 2019 चुनाव के 6 महीने 10 प्रतिशत रिटर्न दिया। लेकिन 6 महीने बाद सिर्फ 4 प्रतिशत रिटर्न मिला। बाजार पहले और बाद अच्छे पैसे बनाकर देता है। चुनावी सालों के औसत रिटर्न 20 सालों के औसत से अच्छे रहे है।

चुनाव परिणाम की उठापटक में क्या करें?

बाजार का बॉटम पकड़ना और फिर निवेश करना आसान नहीं है। ऐसे में शेयर बाजार में कम से कम 1 साल का समय जरूर दें। शेयर बाजार को समय देंगे तो उठापटक का फायदा मिलेगा।
आम चुनाव बाद गिरे तो संभलने में कितना समय लगेगा, इन अटकलों पर जानकारों की राय है कि डिस्काउंट होती है। इसके बाद बाजार संभलने लगते हैं। नई सरकार नीतियों में अधिक बड़े बदलाव नहीं कर पाएगी। नई सरकार को लोगों की उम्मीदों के हिसाब से काम करना पड़ेगा।

FII निवेश पर बड़ा असर पड़ेगा?

FII फ्लो बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करता है। FIIs इसलिए नहीं बेच रहे कि उन्हें इंडिया पसंद नहीं। FII ब्याज दर, निवेश करेंसी, EM बास्केट जैसी कई चीजों पर निर्भर है। निवेश के लिए FIIs सिर्फ आम चुनाव पर निर्भर नहीं होते है।

नए निवेशकों के लिए चुनावी मंत्र?

ऑप्शन राइटिंग में नुकसान का खतरा बहुत अधिक है। भारी गैप-डाउन, गैप-अप के रिस्क में विकल्प राइटिंग से बचें। सिर्फ निवेश करने वालों के लिए खास परेशानी नहीं है। जो खरीदें उसकी डिलीवरी लें, F&O से बचें। ऑप्शन राइटिंग नहीं, बल्कि निवेश करें। उठापटक का फायदा उठाने के लिए कुछ पैसे बचाकर रखें। चुनाव के पहले निवेशित रहें। ये बाजार है, इसमें सारी संभावनाएं मौजूद है। भावनाओं से नहीं, आंकड़े देखकर बाजार में कमाई की रणनीति बनाएं।

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