विधानसभा चुनाव 2023: चुनाव का मौसम अक्टूबर से शुरू होने वाला है। चुनाव आयोग अक्टूबर में पांच राज्यों में विधानसभ चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करेगा। चुनाव नवंबर के तीसरे हफ्ते से लेकर दिसंबर के पहले हफ्ते तक होंने हैं। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने राज्यों का अंतिम दौरा कर लिया
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने तारीख घोषित करने से पहले इन राज्यों का अंतिम दौरा कर लिया है। 2018 में 6 अक्टूबर को इन राज्यों में चुनाव की तारीख घोषित की गई थी। अब इन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव ऐसे समय में होगें। जब पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में एक देश-एक चुनाव की बात सुर्खियों में थी। केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में इस मसले पर एक कमेटी भी बनाई है। जो एक देश-एक चुनाव का रोडमैप तैयार करेगी।
इन पांच राज्यों के चुनाव को अगले साल लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है। इन राज्यों के चुनाव पर देशभर की नजर इस कारण से भी है कि यह आम चुनाव 2024 से ठीक पहले हो रहें हैं। नवंबर-दिसंबर में होने वाले इस विधानसभा चुनाव के समाप्त होने के 100 दिनों के अंदर आम चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी हो जानी है। जाहिर है कि इन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आम चुनाव 2024 से पहले रिहर्सल और नतीजों के राजनीतिक संकेत के रूप में माने जा रहे हैं। अभी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार है। जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा, तेलंगाना में बीआरएस और मिजोरम में गैर कांग्रेस, गैर भाजपा सरकार है।
ट्रेंड रहे हैं अलग
आम चुनाव से ठीक पहले होने वाले यह विधानसभा चुनाव इस बार कुछ अलग हैं। ये चुनाव भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच हो रहा है। कई बार राष्ट्रीय चुनाव के ट्रेंड से इसके परिणाम अलग भी रहे हैं। पुराने ट्रेंड को देखें तो इन पांच राज्यों के चुनाव से राष्ट्रीय परिदृश्य के बारे में अंदाजा लगना जरूरी नहीं है। 2018 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जीत हासिल की थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का इन्हीं राज्यों में खराब प्रदर्शन रहा था।
तेलंगाना में केसीआर ने विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की। लेकिन लोकसभा में बीजेपी ने केसीआर को बड़ी चुनौती दी थी। ऐसे ही 2004 में एनडीए सरकार ने इन्हीं तीनों राज्यों में भाजपा की बड़ी जीत के बाद लोकसभा चुनाव 2004 को सात माह पहले कराने का फैसला किया था। लेकिन इसका ठीक उलट नतीजा निकला। कांग्रेस अप्रत्यशित तरीके से भाजपा से सत्ता छीनने में कामयाब रही। 2009 में चुनाव से पहले भाजपा ने एमपी और छत्तीसगढ़ में अपनी मजबूती बनाए रखी। लेकिन लोकसभा चुनाव के ट्रेंड अलग दिखे थे। हां, 2014 आम चुनाव के पहले जरूर दोनों ट्रेंड में समानता दिखाई दी थी।