- नवेद शिकोह
बेहद ज़रूरी काम ना हो तो घरों से मत निकलये। भीड़ तो क़तई मत लगाइए। मास्क लगाइए, हाथ धोते रहिए, सेनीटाइज़र का प्रयोग कीजिए। हमे इन एहतियातों से ही कोरोना के ख़िलाफ जंग जीत सकते हैं। महामारी का ये दौर कठिन है, विश्व युद्ध जैसा है।
पिछले साल कोरोना की पहली दस्तक के दिनों में देश ने ऐसी जायज़ नसीहतें ख़ूब सुनी थीं। सरकारी तंत्र के अलावा प्रधानमंत्री और देश के सबसे व लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसी नसीहतों के साथ कई बार देश से मुखातिब हुए थे। उन्होंने सबसे पहली बार जनता कर्फ्यू का आह्वान भी किया था। जिसका सम्पूर्ण देश ने समर्थन भी किया और सराहना भी की। फिर लम्बे अर्से तक लॉकडाउन लगा। प्रधानमंत्री ने इसका पालन करने के लिए जनता से आह्ववान किया। जनता ने इस कदम को भी सिर आंखों पर लिया। अपवाद को छोड़ दीजिए तो लॉकडाउन का भी आम जन ने खूब पालन किया था।
ये बातें इसलिए याद आ रही हैं क्योंकि वही मौसम फिर दोहराने लगा है। पिछले साल की तरह होली के बाद कोरोना ने अपने मनहूस क़दम बढ़ा दिए हैं। इस बार हालात ज्यादा भयावह है। पिछले साल की अपेक्षा इसकी रफ्तार और मृत्यु दर भी अधिक है।
इस खराब हालात से निपटने के लिए आम जनता जागरुक नहीं दिख रही। खूब लापरवाहियां बरती जा रही हैं। इंतजार है कि सबसे लोकप्रिय नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टेलीवीज़न के जरिए देश की जनता से मुखातिब होंगे। सबको जागरूक करेंगे। तमाम एहतियात बरतने और भीड़ ना लगाने की नसीहत देंगे।
लेकिन इस बार फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा। इसके विपरीत देश में कोरोना के इस कहर के बीच बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियों में लाखों की संख्या में भीड़ इकट्ठा हो रही है। पश्चिम बंगाल, असम और दीगर राज्यों के चुनावों में लोकप्रिय नेता और प्रधानमंत्री के अतिरिक्त भाजपा के अन्य बड़े.नेता , कांग्रेस, टीएमसी और अन्य राज्यों के बड़े नेताओं को सुनने के लिए रैलियों में बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो रही है।
कोरोना की आंधी में ऐसी अंधेर गर्दी पर एतराज करने वाले जुमले कस रहे है। सोशल मीडिया पर तमाम तरह के तंज़ हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि स्कूलों, आम जनता के मामूली कार्यक्रमों, पूजा स्थलों, बाजारों,कार्यस्थलों… में प्रशासन कोरोना का खतरा महसूस कर रहा है। महामारी कानून और धारा 144 भी लागू होना स्वाभाविक है। लेकिन चुनावी रैलियां कोरोना फ्री हैं। यहां जाते हुए कोरोना डरता होगा। इसलिए शायद रैलियों की भीड़ को लेकर किसी भी राज्य के प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं। कोरोना प्रोटोकॉल में भीड़ अपराध है लेकिन ये नियम चुनावी कार्यक्रमों में लागू नहीं होता।
सोशल मीडिया पर व्यंग्य किए जा रहे हैं कि चुनावी महाभारत भीड़ भाड़ की परमपराओं के साथ निपट जाने दीजिए फिर आमजन को लॉकडाउन 2 का लुत्फ ले। और फिर भारतीय मीडिया और राजनेता कोरोना में बदएहतियाती से बचने की नसीहतें देंगे। फिर घर में बैठकर पकोड़े खाइयेगा। तालियां-थालियां और घंटे बजाइयेगा। दीए जलाइएगा और हेलीकॉप्टर से कोराना सेनानियों पर पुष्प वर्षा होगी। चुनावी महाभारत के समाप्त होने के बाद ही कोरोना सीजन टू शुरु होगा। जिसमें रामायण तीसरी बार देखिएगा। टीवी पर नेताओं की नसीहतें और आह्वान भी मनोरंजन का हिस्सा बनेंगे।