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प्रियंका की उम्मीदवारी: एक पहेली

आर्टिकल/इंटरव्यूप्रियंका की उम्मीदवारी: एक पहेली

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अमित बिश्नोई
भाजपा ने मोदी की गारंटी के नारे के साथ लोकसभा चुनाव के लिए 195 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. 400 पार के नारे को सच साबित करने के लिए पहला कदम उसने बढ़ा दिया है. इस सूची में भाजपा के कई टॉप लीडरों के नाम शामिल हैं, मोदी जी, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी। यहाँ मैं सिर्फ यूपी की बात कर रहा हूँ। अखिलेश ने भी काफी उम्मीदवारों का एलान कर दिया है उसमें शिवपाल यादव का नाम भी है जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की तरफ से अभी तक मंथन का दौर चल रहा है, दिल्ली में बैठकें हो रही हैं लेकिन अभी तक निकलकर कुछ सामने नहीं आया है, ऐसा लगता है कि 17 मार्च को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के बाद ही कांग्रेस पार्टी की तरफ से उम्मीदवारी पर पर्दा हटेगा।

कांग्रेस पार्टी की तरफ से हालाँकि कई नामों के बारे काफी कुछ क्लियर है कि वो कहाँ से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. राहुल के बारे में भी अमेठी से चुनाव लड़ने की चर्चा के बावजूद उनका अपनी मौजूदा वायनाड सीट से लड़ना तय माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस पार्टी में एक नाम ऐसा है जिसके बारे में सबसे ज़्यादा बातें हो रही हैं। वो नाम है प्रियंका गाँधी का. उनके लिए पहला सवाल तो यही है कि वो लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी या फिर सिर्फ पार्टी महासचिव पद को ही संभालेंगी और लड़ेंगी तो किस सीट से. सोनिया गाँधी के चुनावी राजनीती से रिटायरमेंट के बाद उन्हें रायबरेली से उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। चर्चा तो बहुत गर्म है उनके रायबरेली से चुनाव लड़ने की. रायबरेली में उनके पोस्टर, बैनर और होर्डिंग लगे हुए हैं जिसमें उनसे आग्रह किया जा रहा है कि वो रायबरेली आकर यहाँ के विकास कार्यों को आगे बढ़ाएं। सोनिया गाँधी ने भी जब रायबरेली के निवासियों को पत्र लिखकर बताया था कि वो अब चुनाव नहीं लड़ेंगी तब ये भी कहा था कि गाँधी परिवार का रायबरेली से रिश्ता कभी ख़त्म नहीं होगा। सोनिया की ये बात एक तरह का संकेत कही जा सकती है कि रायबरेली से गाँधी परिवार का ही कोई व्यक्ति चुनाव लड़ेगा और उस परिवार से इसके लिए प्रियंका गाँधी से उपयुक्त कोई नहीं है. राहुल गाँधी अगर यूपी से चुनाव लड़ते भी हैं तो अमेठी ही उनकी प्राथमिकता होगी, हालाँकि राजनीति में ऐसा कोई नियम नहीं है।

यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का इंडिया अलायन्स के तहत गठबंधन है, अमेठी और रायबरेली सीटों पर सपा वैसे भी कांग्रेस को वाक ओवर देती रही है, इस बार तो दोनों साथ में हैं. अखिलेश से सवाल पूछा गया था कि यूपी में गठबंधन के समय आप से अमेठी और रायबरेली को लेकर कोई बात हुई थी कि यहाँ से कांग्रेस पार्टी किसको उम्मीदवार बनाएगी , अखिलेश ने इसका जवाब बड़े डिप्लोमेटिक ढंग से देते हुए कहा था कि मेरी बात सिर्फ सीटों के गठबंधन को लेकर हुई थी, उम्मीदवारों को लेकर नहीं। कांग्रेस पार्टी इन सीटों से जिसे भी चुनाव लड़ाई, समाजवादी पार्टी उसका पूरी तरह से समर्थन करेगी। यूपीसीसी में बैठे लोग भी कुछ इसी तरह की बातें करते हैं. कांग्रेस प्रवक्ताओं की माने तो रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटों से गाँधी परिवार यानि राहुल और प्रियंका गाँधी चुनाव लड़ेंगे और इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है लेकिन ये तैयारी अभी कहीं दिखाई नहीं दे रही है।

यहाँ एक सिनेरियो और भी बनता दिख रहा है और वो ये कि बहुत संभव है कि अमेठी में दो कद्दावर महिलाएं आपस में टकराएं। यानि स्मृति ईरानी जो बार बार राहुल गाँधी को अमेठी से चुनाव लड़ने का चैलेंज दे रही हैं कहीं उन्हें ये चैलेन्ज भारी न पड़ जाए, फर्क बस चेहरे का हो जाय, राहुल की जगह प्रियंका। प्रियंका गाँधी का अमेठी से बहुत पुराना रिश्ता है, उनके बचपन और जवानी का बहुत बड़ा हिस्सा अमेठी की गलियों मोहल्लों में बीता है, अमेठी में जितना लोकप्रिय राजीव गाँधी थे, उससे कम लोकप्रिय प्रियंका भी नहीं थी यही वजह है कि राहुल की चुनावी कमान रायबरेली में हमेशा प्रियंका ने संभाली। आज भी राहुल से कहीं ज़्यादा अमेठी में प्रियंका गाँधी की लोकप्रियता है. रायबरेली की अतिरिक्त चुनावी बागडोर तो वो अपनी मां के लिए संभालती थी लेकिन अमेठी की चुनावी बागडोर लेने के पीछे सिर्फ राहुल नहीं बल्कि अपने पिता के साथ बिताये गए पलों की यादें होती थीं. तो 17 मार्च के बाद अगर कुछ इस तरह की खबर आये तो हैरानी वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा हो गया तो ये स्मृति ईरानी के लिए बहुत बड़ा झटका होगा क्योंकि उनकी सारी राजनीती ही राहुल गाँधी पर रही है. चेहरा बदल गया तो स्मृति ईरानी को भी बहुत कुछ बदलना पड़ेगा, वैसे भी अमेठी से उनके लिए ख़बरें ज़्यादा अच्छी नहीं आ रही हैं, ऊपर से सपा से गठबंधन ने उनकी नींद और भी हराम कर दी है. फिलहाल तो प्रियंका गाँधी की उम्मीदवारी एक पहेली बनी हुई है, देखना है कि इस पहेली का जवाब कब और कितनी जल्दी मिलता है.

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