बिहार की राजद और जेडीयू सरकार की तर्ज़ पर यूपी में जातीय जनगणना को मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने अपना चुनावी मुद्दा बना लिया है और उसके लिए बाकायदा अभियान छेड़ने का एलान किया है. राम चरित मानस विवाद से चर्चित हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को जातीय जनगणना पर आगे बढ़ने की ज़िम्मेदारी भी सौंप दी है, अब इस मामले पर भाजपा की तरफ से प्रतिक्रिया आयी है. योगी सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि न तो वो और न ही उनकी पार्टी जातीय जनगणना के खिलाफ है.
जातीय जनगणना में कुछ भी गलत नहीं
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जातीय जनगणना में कुछ भी गलत नहीं है, यह होनी चाहिए। केशव प्रसाद के बयान को एक तरह से विपक्ष की बात का समर्थन माना जा रहा है. हालाँकि सभी जानते हैं उत्तर प्रदेश में भाजपा की सफलता के पीछे पिछड़ों की राजनीती ही है, उसे लगातार सत्ता तक पहुँचाने में OBC समाज का बहुत बड़ा हाथ अबतक रहा है लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी पिछडो और अति पिछड़ों पर चुनावी दांव खेल रही है. रामचरित मानस को लेकर पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की सियासत में जो कुछ हुआ है वो भाजपा की सेहत के लिए बिलकुल ठीक नहीं माना जा रहा है. भाजपा के लिए पिछड़ों को दरकिनार करना भी नामुमकिन है. एक तरह से कहा जा सकता है कि केशव प्रसाद मौर्य का सामने आकर जातीय जनगणना का समर्थन कर भाजपा की बजबूरि भी है और चुनावी रणनीति भी.
सरकार का विशषाधिकार है यह
उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कहा कि उनकी सरकार जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं है, उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली जातिगत जनगणना उस सरकार का विशेषाधिकार है। बिहार में चल रही जातिगत जनगणना पर उन्होंने कहा कि वे संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं, यह बात वो नहीं कह सकते। बता दें कि जातियों की वैज्ञानिक गणना आखिरी बार 1931 में की गई थी. वहीँ समाजवादी पार्टी जातीय जनगणना के सहारे पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों के बीच अपनी पहुंच को मज़बूत करना चाहती है. भाजपा प्रवक्ता सुनिल सिंह साजन ने इस मुद्दे पर सीएम योगी पर सवाल भी खड़े किए, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस काम में रोड़ा बन रहे हैं.