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सीता नहीं अब राम देंगे अग्निपरीक्षा, मिलेगी सत्ता या होगा वनवास ?

आर्टिकल/इंटरव्यूसीता नहीं अब राम देंगे अग्निपरीक्षा, मिलेगी सत्ता या होगा वनवास ?

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पारुल सिंघल

सतयुग में सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी, लेकिन कलयुग में सियासत ने पूरी कहानी ही बदल कर रख दी है। सियासत की रामायण में अब अग्नि परीक्षा सीता नहीं बल्कि राम देंगे। पहले चरण के चुनावों के बाद भाजपा की डगर और कठिन हो चली है वहीं, मेरठ सीट की हवा भी बदली हुई है। 26 अप्रैल को राम के भविष्य का फैसला मेरठ की प्रजा करेगी। फैसले के बाद ही तय होगा कि उन्हें सत्ता मिलेगी या वनवास जाना होगा।

मुस्लिम वोट से बिगड़ सकता है गणित
भाजपा के लिए मेरठ सीट पर सबसे बड़ी चुनौती इस बार मुस्लिम वोटर साबित हो रहा है। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी सुनीता वर्मा और बसपा के प्रत्याशी देवव्रत त्यागी दोनों की ही मुस्लिम समाज के बीच मजबूत पकड़ है। पूर्व मेयर रह चुकी सुनीता वर्मा के पति और पूर्व विधायक योगेश वर्मा मुसलमानों के बीच पहले ही लोकप्रिय हैं। जबकि भाजपा के प्रत्याशी अरुण गोविल मुस्लिम मतदाताओं के बीच पकड़ बनाने में काफी कामयाब नहीं हुए हैं। उत्तर प्रदेश की 8 सीटों में से एक मेरठ सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है। यहां 6 लाख मुस्लिम वोटर हैं। तीन लाख दलित वोटर हैं। ढाई लाख वैश्य और करीब 70 हजार ब्राह्मण वोटर है। दलित और मुस्लिम वोट के बिना भाजपा का जीतना मुश्किल है। मात्र ढाई लाख वैश्य वोटर के सहारे टीवी के राम यानी अरुण गोविल जीत की दुहाई दे रहे हैं। माना जा रहा है की इस बार इस सीट पर दलित और ब्राह्मण वोट बंट सकती है। लेकिन मुस्लिम वोट नहीं बंटा तो राम का वनवास तय होगा। 2019 के चुनावी नतीजे इसकी पूरी पुष्टि करते हैं। गौर करें वर्ष 2019 में मुस्लिम वोट बसपा के प्रत्याशी हाजी याकूब अली के साथ गई थी। भाजपा के जमीनी नेता राजेंद्र अग्रवाल का जीतना मुश्किल हो गया था। बैलेट वोटिंग की बदौलत मात्र कुछ वोटों के अंतर से उन्हें जीत हासिल हुई थी । दूसरी चुनौती भाजपा के लिए इस बार ठाकुर भी बने हुए हैं। भाजपा के साथ जाने से उन्हें साफ इंकार किया है। नाराज ठाकुरों ने यदि जीत का समीकरण बिगाड़ा तो राम का जीतना असंभव होगा।

मुद्दे नहीं राम के किरदार को कर रहे कैश, लोगों में नाराजगी

चुनाव से ठीक पहले अयोध्या में राम मंदिर बनाने वाली भाजपा ने टीवी सीरियल रामायण के किरदारों को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। राम बने अरुण गोविल मेरठ सीट पर इसी लहर को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा द्वारा मेरठ में मुद्दों की राजनीति की करीब करीब गायब है। लोगों में इस बात की भी नाराजगी साफ दिखाई दे रही है। कई इलाकों में भाजपा का विरोध भी देखा गया है। राम बनकर घूम रहे अरुण गोविल किरदार से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। बिना मुद्दों के राम बनकर वोट मांग रहे भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल को मेरठ में क्या मिलता है इसका फैसला 26 अप्रैल को ही होगा।

जनता का नहीं बन पा रहा विश्वास
चुनाव प्रचार के दौरान बिना मुद्दों की राजनीति और क्षेत्र की समस्याओं व विकास से दूरी को देखते हुए यहां की जनता भाजपा पर भरोसा जताते हुए नहीं दिख रही है। मेरठ सीट पर भाजपा द्वारा पुराने प्रत्याशी और जमीनी नेता राजेंद्र अग्रवाल का टिकट कटने से भी जनता भाजपा से कट रही है। मात्र रोड शो और चुनावी प्रचार में राम बनकर घूम रहे भाजपा प्रत्याशी से उनका कोर वोटर भी कन्नी काट रहा है। मुस्लिम समाज के साथ ही अन्य कई वर्ग भी कटे हुए हैं। ऐसे में जनता के विश्वास के बिना इस सीट पर राम का अग्निपरीक्षा में सफल होना संशय पैदा करता है।

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