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Buying Abroad Rules: 1 जुलाई से विदेश जाने के नियमों में बदलाव, जानिए TCS और LRS में अंतर

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Buying abroad rules: अगर विदेश जा रहे हैं और क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर रहे हैं। तो यह अब आपके लिए काफी महंगा साबित हो सकता है। सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। यह व्यवस्था आगामी 1 जुलाई से लागू होगी। 1 जुलाई के बाद विदेश जाने वालों के लिए इन नियमों का पालन करना अनिवार्य हो जाएगा।

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब विदेश में क्रेडिट कार्ड का उपयोग करना काफी महंगा होगा। नई व्यवस्था एक जुलाई से लागू होने जा रही है। नई व्यवस्था के तहत क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर 20 प्रतिशत रकम अतिरिक्त कट जाएगी। विदेश यात्रा के लिए टूर पैकेज, होटल्स, साइट सीन आदि की बुकिंग पर नियम लागू होगा। इसको भले ही किसी भारतीय एजेंसी से बुक कराएं।

एजेंसी टीसीएस काटकर बिल में जोड़ देगी। अभी तक इस तरह की बुकिंग पर पांच प्रतिशत टीसीएस काटा जाता था। एक जुलाई से अब 20 प्रतिशत काटा जाएगा। हालांकि इसे साल के अंत में अपने आईटीआर में क्लेम कर सकेंगे। मेडिकल और एजुकेशन पर होने वाले खर्च में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है।

जानिए किन नियमों में हुआ है बदलाव

केंद्र सरकार ने Foreign Exchange Management Act (FEMA) नियमों में बदलाव कर दिया है। इसका आदेश वित्त मंत्रालय ने 16 मई 2023 को जारी किया था। इस तरह डेबिट कार्ड/फॉरेक्स कार्ड की तरह क्रेडिट कार्ड Liberalised Remittance Scheme (LRS) के तहत अब आ गया है। अब तक लोग क्रेडिट कार्ड से खर्च करते थे और उसका हिसाब-किताब अलग से नहीं देना पड़ता था। इससे सरकार को पता चला कि बड़ी संख्या में लोगों ने ढाई लाख डॉलर की लिमिट को भी पार कर लिया है। इस कारण से अब नई व्यवस्था लागू कर दी गई है।

जानिए क्या है LRS

इस स्कीम के तहत आरबीआई किसी भारतीय के विदेश में खर्च की सीमा को निर्धारित करता है। भारतीय नागरिक एक वित्तीय साल में अधिकतम ढाई लाख डॉलर धनराशि खर्च कर सकता हैं। अभी तक इसमें डेबिट कार्ड और फॉरेक्स कार्ड शामिल होता था। लेकिन अब एक जुलाई, 2023 से इसमें क्रेडिट कार्ड को भी जोड़ दिया गया है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड से जो भुगतान किया जाएगा। उस पर 20 प्रतिशत टीसीएस काटा जाएगा।

TDS और TCS में अंतर

TCS यानी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स और TDS का मतलब होता है टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स। दोनों में यह अंतर होता है कि टीसीएस की कटौती खर्चों पर शामिल होती है। और टीडीएस की कटौती आय से होती है। टीसीएस आईटीआर में क्लेम करके वापस पाया जा सकता है। जबकि टीडीएस में नियमानुसार राशि वापस होती है।

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