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RBi Monetary Policy Meeting: रेपो रेट स्थिरता से लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प

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RBi Monetary Policy Meeting: रिजर्व बैंक का रेपो रेट स्थिर रखना तेजी का संकेत है। इसमें महंगाई कम होने का जोखिम भी है। चौथी तिमाही में तेज जीडीपी वृद्धि और ब्याज दर में स्थिरता खर्चें में तेजी लाएगी। एमएसएमई से मध्यम अवधि को आत्मविश्वास के साथ देखा जा सकता है। व्यवसायों के विस्तारीकरण और आधुनिकीकरण में निवेश में बाहरी जोखिम का खतरा बना हुआ है।

निवेशकों में जोखिम उठाने की क्षमता होनी चाहिए

एमपीसी के फैसले के बाद एक अर्थशास्त्री का कहना है कि रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। ऐसे में मौद्रिक नीति समित के रुख में इस बार किसी प्रकार का बदलाव नहीं आया है। महंगाई दर को मामूली रूप से घटाकर 5.1 फीसद किया गया है। रिजर्व बैंक गवर्नर शशिकांत दास के ऐलान के बाद निवेशकों को जोखिम उठाने की क्षमता पर विचार करना चाहिए। निवेशकों को लंबी अवधि तक निवेश करना चाहिए। उपज में गिरावट के बाद मौजूदा आवक आकर्षक बनी है। इसको मिस नहीं करना चाहिए। लंबी अवधि के फंड निवेशकों के लिए यह पसंदीदा निवेश विकल्प है।

आरबीआई ने दिखाई मजबूत प्रतिबद्धता

RBI ने ब्याज दरों और नीतिगत निर्णय लेते हुए वित्तीय स्थिरता से समझौता किए बिना महंगाई मानक तय किया है। टारगेट को पाने करने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता आरबीआई ने दिखाई है। केंद्रीय बैंक के रुख से साफ है कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही के दौरान ग्रोथ जोखिम की तुलना में महंगाई से जुड़े जोखिम के बारे में अधिक चिंतित है। बैंकों द्वारा कॉल और मनी मार्केट में उधार लेने के मानदंडों को आरबीआई ने उदार बनाया है। इससे विनियमित संस्थाओं के लिए प्राकृतिक आपदाओं के कारण पुनर्गठन पर प्रूडेंशियल मानदंडों का युक्तिकरण समय पर किया गया है। यह उधार देने वालों को बेहतर लचीलापन प्रदान करेगा।

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