Mutual Funds: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI ने Mutual Fund के कुल एक्सपेंस रेशियो (TER) में बदलाव लाने की तैयारी की है। इससे निवेशकों द्वारा दिए जाने वाले शुल्कों में कमी आएगी। सेबी द्वारा जारी परामर्श पत्र में, नियामक ने नया TER प्रस्ताव तैयार किया है। जिसमें कुल खर्च की सीमा हरेक परिसंपत्ति कैटगरी में Mutual Funds की कुल संपत्तियों से जुड़ी होगी। जबकि मौजूदा व्यवस्था में अधिक खर्च किसी भी योजना में प्रबंधित होने वाली परिसंपत्तियों पर आधारित होगा।
निवेशक TER सीमा के मुकाबले दो गुना ज्यादा चुका रहे
नियामक ने लेनदेन, लागत, ब्रोकरेज के अलावा GST जैसे शुल्कों को टीईआर में शामिल करने की एक योजना तैयार की है। परामर्श पत्र में कहा कि ऐसा पता चला है कि ब्रोकरेज और लेनदेन लागत से जुड़ी योजनाओं का खर्च निर्धारित अधिकतम TER सीमा से अधिक है। इस करण निवेशक टीईआर सीमा के मुकाबले दोगुने से अधिक चुका रहे हैं।
अब प्रस्ताव रखा है कि ब्रोकरेज और लेनदेन खर्च को TER सीमा में शामिल किया जाएगा। इससे जहां अधिकतम टीईआर सीमा में इक्विटी योजनाओं के लिए कुछ बढ़ाने का प्रस्ताव है और निवेशकों द्वारा चुकाया जाने वाला शुल्क घट जाएगा। TER से अधिक कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। नियामक ने इक्विटी योजनाओं के लिए टीईआर सीमा 2.55 फीसद पर निर्धारित की गई है। जबकि मौजूदा सीमा 2.25 फीसद है। वहीं तारीख के लिए अधिकतम टीईआर स्लैब 2 फीसद से घटाकर 1.2 फीसद किया गया है।
नई इक्विटी की योजनाओं के निवेशकों द्वारा चुकाया जाने वाली फीस मौजूदा समय में औसत तौर पर 2.78 फीसद है। जो अतिरिक्त फीस की वजह से 2.25 फीसद निर्धारित सीमा से अधिक है। परामर्श पत्र में कहा गया है कि नया खर्च ढांचा निवेशकों द्वारा चुकाए जाने वाली फीस में 4.55 फीसद तक की कमी लाने में मददगार होगा। वित्त वर्ष 2022 में, MF उद्योग ने योजनाओं के प्रबंधन के लिए 30,806 करोड़ रुपए का कुल फीस प्राप्त की थी। प्रस्तावित मॉडल पर अमल होता है तो यह आंकड़ा घटकर 29,404 करोड़ बैठता है।
फंडों पर पड़ता है बोझ
नियामक ने स्वीकार किया कि अतिरिक्त खर्च जिसमें लेनदेन लागत और ब्रोकरेज शुल्क शामिल किया जाता है। इस वजह से फंडों पर बोझ पड़ता है। लेकिन उसका कहना है कि नए कदम से यूनिट धारकों से वसूले जाने वाली फीस में जरूरी पारदर्शिता लाने के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण है। नियामक ने फंडों को अच्छे प्रदर्शन के मामले में अधिक शुल्क वसूलने का प्रस्ताव रखा है। सेबी ने कहा कि यदि किसी योजना का प्रदर्शन सांकेतिक प्रतिफल से अधिक अच्छा रहता है तो फंडों को ज्यादा प्रबंधन शुल्क वसूलने की अनुमति दी जाएगी।