नई दिल्ली। भारतीय शेयरों के बारे में निवेशक अदाणी प्रकरण से काफी सतर्क हुआ है। स्थानीय मुद्रा प्रबंधक आने वाले साल के लिए बाजार को लेकर अभी काफी आशावादी हैं। विदेशी फंड्स ने 3.1 ट्रिलियन डॉलर के भारतीय शेयर बाजार में वापस आना शुरू कर दिया है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर फिसला बाजार
जनवरी में लगातार दूसरे महीने पिछड़ने के बाद शेयर बाजार का एक प्रमुख बेंचमार्क एक बार फिर से ऊपरी स्तर की ओर बढ़ रहा था। इसी दौरान हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अदाणी समूह और बाजार को झटका लगा। जिससे बाजार की धारणा व्यापक रूप से बदल गई। हालांकि इसके बावजूद ब्लूमबर्ग के एक सर्वेक्षण के अनुसार लगता है कि भारतीय बाजार के दोनों मुख्य इक्विटी इंडेक्स मौजूदा स्तरों की तुलना में वर्ष के अंत में ऊपर होंगे। मजबूत घरेलू मांग से कंपनियों की आय बढ़ेगी इससे बाजार को सहारा मिलेगा।
अदाणी प्रकरण पूरे शेयर बाजार का मुद्दा नहीं
एल्डर कैपिटल की इन्वेस्टमेंट मैनेजर राखी प्रसाद के मुताबिक अदाणी मुद्दा और भारतीय बाजार दोनों अलग हैं। उनके अनुसार अदाणी समूह में हो रही बिकवाली पूरे भारत या शेयर बाजार का मुद्दा नहीं है। कई अन्य भारतीय कंपनियों के संचालन मानक वैश्विक कंपनियों के बराबर हैं। उन्होंने कहा कि अदाणी समूह जैसी समस्या कई अन्य देशों में हो सकती है।
अदाणी समूह की कंपनियों का मार्केट 130 अरब डॉलर घटा
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह की 10 कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है। इससे समूह की कंपनियों का बाजार लगभग 130 अरब डॉलर घट गया है। सरकार का दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेजी से विस्तार करने का लक्ष्य है। सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद से देश के कॉर्पोरेट गवर्नेंस परिदृश्य को जिस जांच का सामना करना पड़ेगा वह दीर्घकालिक रूप से बाजार पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।