कोरोना की आहट सुनते ही इस महामारी से निपटने के लिए भारत सरकार ने बड़ी तैयारियां शुरू कर दी हैं, तमाम तरह के निर्देश राज्यों को जारी किये जा चुके हैं, कई देशों से आने वाले यात्रियों के RT-PCR टेस्ट को भी अनिवार्य बनाया जा रहा है, साथ ही उनमें कोरोना के किसी तरह के लक्षण दिखने पर उन्हें क्वारेंटाइन करने का फैसला भी लिया जा चूका है. पूरे देश में टेस्टिंग को बढ़ाने और मास्क उपयोग करने को लेकर लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए जा चुके हैं, इसके अलावा लोगों से बूस्टर डोज़ लगवाने के लिए अपील की जा रही है विशेषकर बुज़ुर्गों से. इसी कड़ी में बूस्टर डोज़ के रूप में नेज़ल वैक्सीन को भी मंज़ूरी दी जा चुकी है. इन्हीं तैयारियों के बीच सरकार ने यह देखने के लिए कि देश के अस्पताल इस आपात स्थिति से निपटने के लिए कितना तैयार हैं 27 दिसम्बर को मॉक ड्रिल करने का फैसला लिया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने लिखी चिट्ठी
इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि कोविड और नॉन कोविड अस्पतालों में व हेल्थ फैसिलिटी में मॉक ड्रिल के दौरान किस तरह की व्यवस्था है यह देखा जाए. अगर देश में कोरोना के केसों में इज़ाफ़ा होता है तो उससे निपटने के लिए अस्पताल और हेल्थ फैसिलिटी कितने तैयार हैं? चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि इस मॉक ड्रिल में यह भी जांचा जाए कि अस्पतालों में बेड की उपलब्धता, डॉक्टर, नर्से, पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या कितनी है. अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन किस मात्रा में उपलब्ध है, आईसीयू में कितने बेड हैं. अस्पतालों में सुविधाएँ कितनी हैं और स्टाफ कितना है। मॉक ड्रिल में यह भी देखा जाए कि पीपीई किट की उपलब्धता है या नहीं. मेडिकल ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, एन 95 मास्क, जांच लैब, RT-PCR और RAT किट कितनी मात्रा में हैं?