malaria virus new mutation: कोरोना संक्रमण के बीच अब एक और नया वायरस चिकित्सकों के संज्ञान में आया है। ये नया वायरस मलेरिया का है। अध्ययन में मलेरिया के विशेष परजीवी मार्कर की पहचान हुई है। जिसका मुख्य कारण दवा प्रतिरोधक बताया जा रहा है। इससे मलेरिया रोगियों के उपचार में मदद मिलेगी। इसी के साथ, स्वास्थ्य मंत्रालय के 2030 तक देश को मलेरिया मुक्ति अभियान को सफल बनाने में भी मदद मिलेगी।
भारतीय मरीजों में मिला वायरस अन्य देशों की तुलना में नया
भारत में वैज्ञानिकों को पहली बार मलेरिया संक्रमण के नए म्यूटेशन का पता लगा है। आशंका जताई है कि यह वायरस मरीजों में दवा प्रतिरोध के कारण हो सकता है। भारतीय मरीजों में मिलने वाला यह वायरस दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीकी देशों की तुलना में नया है।
शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भारत में मलेरिया परजीवी की एक आबादी है। ड्रग्स एंड ड्रग रेजिस्टेंस के अध्ययन पुणे स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER), कोलकाता स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन, विद्यासागर विवि और पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। इसमें 53 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद नए म्यूटेशन का पता चला है।
विशेष परजीवी मार्कर की पहचान
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन से भारत में मलेरिया में विशेष परजीवी मार्कर की पहचान हुई है। जिसका मुख्य कारण दवा प्रतिरोध है। इससे रोगियों के उपचार में मदद मिलेगी। अध्ययन में शोधकर्ता डॉ. कृष्णपाल करमोदिया ने बताया कि यह बड़े पैमाने पर किया गया अध्ययन है। जो भारतीय जनसंख्या में मलेरिया परजीवी के होने की पुष्टि करता है।
अध्ययन के लिए कोलकाता से मरीजों के सैंपल लिए गए। इसके बाद उनकी आईआईएसईआर लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग की गई।
मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है मलेरिया
देश में मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है मलेरिया। ये मच्छर मरीज की लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करता है। जिससे बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण होते हैं।
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार, 2015-2022 के बीच भारत में मलेरिया बीमारी में 85.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। जबकि मलेरिया से होने वाली मौतों में 83.36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। देश में मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की नौ प्रजातियां हैं। अभी तक भारत में मलेरिया का टीका नहीं आया है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक कंपनी टीका मलेरिया के टीके की खोज में लगी हैं।