Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा रोकने की सभी कोशिशें बेकार हो गई है। मणिपुर में मैतेई और कुकीज के बीच मतभेद लंबे समय से हैं। कुकी, नगा राज्य मणिपुर में ज्यादा हैं। मैतेई समुदाय के लोग राजधानी इंफाल और आसपास अधिक हैं। मणिपुर के 60 में से करीब 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं।
मणिपुर पिछले 50 दिन से हिंसा से झुलस रहा है। 1 मई को मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी। मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राज्य का दो बार दौरा कर चुके हैं। गृहमंत्री अपने दौरे के दौरान दर्जन बैठकें कर चुके हैं। मणिपुर में हिंसा रोकने के हर संभावित उपायों की पहल हो चुकी है। इसके बाद भी राज्य हिंसा चपेट में है।
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय ने एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। मणिपुर हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। 48 हजार से अधिक लोग राहत शिविरों में हैं। 400 से अधिक लोग मणिपुर में हुई हिंसा में घायल हैं। सबके मन में एक अहम सवाल है कि आखिर मणिपुर हिंसा की ये आग कब बुझेगी?
गृह मंत्रालय के अफसर भी मणिपुर हिंसा पर चुप
मणिपुर हिंसा मामले में केन्द्र सरकार के एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के पास इसका कोई जवाब नहीं है। गृह मंत्रालय के अफसर भी मणिपुर हिंसा मामले में कुछ नहीं कह पा रहे हैं। खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां मणिपुर के हालात को लेकर काफी संवेदनशील हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सचिवालय ने अब अपने प्रयास तेज कर दिया है।
मणिपुर के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि फिलहाल राज्य में हिंसा के हालात सुधरने के संकेत नहीं हैं। उनका कहना हैं कि सालों से मैतेई और कुकीज साथ रहते, काम करते आए थे। हालांकि मैतेई और कुकीज के बीच मतभेद लंबे समय से हैं। कुकी, नगा राज्य मणिपुर के क्षेत्रों में अधिक हैं। मैतेई राजधानी इंफाल और आसपास हैं। मणिपुर के 60 में से करीब 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं। विभाजन और हिंसा की आग इस बार जो लगी है, उसकी खाई पटना मुश्किल लग रही है।
लड़ाई जंगल, जमीन और अधिकार की
पूर्वोत्तर के सूत्र कहते हैं कि आग लगाई गई है। असम की बराक घाटी की महिला नेता जिनका मणिपुर से लगाव है। उनका कहना है कि मैतेई और कुकी सालों से रह रहे थे। दोनों के बीच कारोबारी रिश्ते थे। 1 मई से सब खत्म हो चुका है। वह कहती हैं कि जनसंख्या में मैतेई समुदाय के लोग अधिक हैं। कुकी और नगा कम। लेकिन कुकी और नगा मणिपुर में अधिक क्षेत्रों में हैं। उनका कहना है कि लड़ाई जंगल, जमीन और अधिकार की है। मणिपुर की जनसंख्या 28 लाख के लगभग है। इसमें मैतेई घाटी में रहते हैं।
कुकी चार पहाडिय़ों पर फैले हैं। लेकिन इसे राजनीतिक रंग न दिया गया होता, तो हालात ऐसे नहीं होते। अब स्थिति बदल गई है। जहां कुकी समुदाय के लोगों की बहुलता है, वहां से मैतेई पलायन कर रहे हैं। जहां मैतेई बाहुल क्षेत्र है, वहां से कुकी घर छोड़कर जा रहे हैं। दोनों समुदाय अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों की सुरक्षा, निगरानी बाकायदा बंकर बनाकर, आधुनिक हथियारों और सैटेलाइट फोन का प्रयोग करके कर रहे हैं। पैरा मिलिट्री फोर्स के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार सुरक्षा बलों को क्षेत्र में भीतर घुसने, अपना अभियान चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद लिखी गई हिंसा की इबारत
27 मार्च को मणिपुर हाईकोर्ट ने एक फैसला दिया था। इसमें हाईकोर्ट ने सरकार से मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की सिफारिश की थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद से मणिपुर में हिंसा की पटकथा लिखी गई और इसके बाद से राज्स में खूनी खेल शुरू हुआ। जो अब प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के लिए नासूर बन चुकी है।