नई दिल्ली। होली फाल्गुन मास की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन लोग रंग-बिरंगे रंगों से खेलते हैं। वहीं इससे पहले होलिका दहन पूजा की परंपरा है। जो पूर्णिमा तिथि को होती है। इस बार 7 मार्च को होलिका दहन व 8 मार्च, रंग खेला जाएगा। होलिका दहन अनुष्ठान करने और प्रार्थना करने के लिए अलाव के चारों ओर इकट्ठा होकर चिह्नित करते हैं। इस तरह होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन भद्रा रहित पूर्णिमा रात को उत्तम होता है। इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है। कुछ लोगों को होलिका दहन के दिन होलिका की अग्नि को नहीं देखना चाहिए अन्यथा उन्हें हानि हो सकती है।
इन लोगों को नहीं देखनी चाहिए होलिका दहन
हिंदु मान्यताओं के अनुसार नवविवाहित स्त्रियों को जलती हुई होलिका नहीं देखनी चाहिए। नवविवाहित स्त्रियों को जलती हुई होलिका की अग्नि न देखने के पीछे एक विशेष कारण हैं। इससे जुडे तथ्य के अनुसार होलिका की अग्नि को लेकर माना जाता है कि आप पुराने साल को जला रहे हैं, अर्थ आप अपने पुराने साल को स्वयं जला रहे हों।।
होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवविवाहित स्त्रियों को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए। इसके अलावा जो स्त्रियां गर्भवती हैं उन्हें होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है।