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लॉकडाउन के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्मों से जुड़ने की कोशिशों को मिल रहा है बढ़ावा

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लॉकडाउन के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्मों से जुड़ने की कोशिशों को मिल रहा है बढ़ावा

भारत में डिजिटल विस्तार की तीव्र रफ्तार के बावजूद, देश में वित्तीय सेवाओं के उपभोक्ताओं ने अपने रोजमर्रा के लेनदेन के लिए अब भी डिजिटल प्लेटफॉर्मों को पूरी तरह से नहीं अपनाया है। यह गैर-मेट्रो बाजारों और ग्रामीण इलाकों के लिए खासतौर पर सच है। दरअसल, अभी शुरुआती दिन ही चल रहे हैं, क्योंकि इस परिवर्तन के लिहाज से अहम मोड़ नोटबंदी के दौरान ही आया था। तब से, वित्तीय सेवाओं ने अपना काफी डिजिटल रूपांतरण कर लिया है। इसमें डिजिटल इंडिया और जेएएम (जनधन, आधार और मोबाइल) का बढ़िया सहयोग रहा, जिन्हें भारत सरकार वित्तीय समावेशन लाने के लिए बढ़ावा दे रही है। फिलहाल जारी लॉकडाउन के दौर की बदौलत बेशक हम विभिन्न पटल में डिजिटल प्लेटफॉर्मों को अपनाए जाने के लिहाज से एक और अहम मोड़ देखने जा रहे हैं। कुल मिलाकर यह बदलाव उपभोक्ताओं, व्यवसायों और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा ही होगा।

क्या कहते हैं मौजूदा हालात

जारी लॉकडाउन चरण में, बैंकों और बीमा कंपनियों सरीखी वित्तीय सेवा कंपनियों तक जनता की पहुंच को अत्यावश्यक माना गया है। ऐसा सरकार ने किया है, ताकि रोजमर्रा की जिंदगी बाधित न हो और सामाजिक अराजकता की स्थिति न आने पाए। बहरहाल, इस तरह के संगठन सीमित संख्या में कर्मचारियों के साथ कार्यालय खोल तो सकते हैं, लेकिन वे पूरी तरह से सारी सेवाएं प्रदान करने में असमर्थ हैं। सोशल डिस्टेंसिंग भी ग्राहक की आमद को और बाधित कर रही है। बैंकिंग और बीमा कंपनियों जैसे व्यक्तिगत वित्त संस्थानों में पहले से ही ये प्लेटफॉर्म हैं, परंतु मौजूदा स्थिति संगठनों को अपनी डिजिटल क्षमताओं के विस्तार और ग्राहकों की सहूलियत के लिए नई सेवाएं जोड़ने को प्रेरित कर रही है। अपनी साइबर सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत बनाते हुए वे बढ़ी हुई संख्या को संभालने की तैयारी भी कर रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्मों से जुड़ने की कोशिशों को मिल रहा है बढ़ावा

जनता के लिए इसका क्या मतलब है

ग्राहकों के लिए,  इसका अर्थ है एक अलग वास्तविकता को अपनाना, अपनी हिचक व रुकावटों को दूर करना और अपनी वित्तीय जरूरतों की पूर्ति के लिए तकनीक से खुलकर दोस्ती करना। हालांकि यह बहुत-से लोगों को आदत में बदलाव के लिए मजबूर कर सकता है, लेकिन यह आखिरकार सभी वर्गों के लिए अच्छा ही होगा।

जहां महानगरों और बड़े शहरी शहरों में ग्राहकों और उपभोक्ताओं के कुछ सेगमेंट ने बैंकिंग और बीमा आदि के लिए ऑनलाइन लेन-देन को तेजी से अपनाया है, वहीं वरिष्ठ नागरिक, तकनीक के साथ ज्यादा सहज न हो पाए लोग और छोटे शहरों जैसे समाज के कई वर्गों ने एक बेहतर डेटा और बैंडविड्थ वाले बुनियादी ढांचे के बावजूद प्रतिक्रिया में इतनी तेजी नहीं दिखाई है। इसका एक कारण तो यह है कि उन्हें किसी तयशुदा जगह पर जाने और अपनी वित्तीय गतिविधियों को लेकर आमने-सामने की चर्चा करने की सुविधा मिलती रही है, जिसमें वे सहजता महसूस करते हैं। वित्तीय संस्थानों के साथ व्यवहार में भरोसे की अहम भूमिका होती है और इसलिए कुछ लोग ऐसे संस्थान के स्थानीय कार्यालय में जाने या संस्थान के प्रतिनिधि को अपने परिसर में बुलाने को प्राथमिकता देते हैं।

बहरहाल, भले ही विडंबना लगे, लेकिन सच तो यह है कि लॉकडाउन का समय हर किसी के लिए बुनियादी बातें सीखने का एक अच्छा अवसर है। इनमें पेमेंट गेटवे के जरिए ऑनलाइन फंड ट्रांसफर करना, रिन्यूअल्स का भुगतान करना, बैलेंस चेक करना और स्टेटमेंट प्राप्त करना आदि शामिल हैं- और यह सब बड़े आराम से घर पर बैठे-बैठे किया जा सकता है। अब यह काफी हद तक साफ है कि लॉकडाउन खत्म हो जाने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन लंबे समय तक करना होगा। इसलिए, वक्त की जरूरत है कि हम अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आएं और लेनदेन करने तथा व्यापक तौर पर सेवा प्रदाताओं के साथ जुड़ने के लिए डिजिटल तकनीक को अपनाएं। यह समय की जरूरत है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद महामारी के फिर से उभार से बचने के लिए हमारा सुरक्षित रहना और अपनी बाहरी गतिविधियों व सामाजिक मुलाकातों को यथासंभव सीमित रखना आवश्यक होगा।

डिजिटल प्लेटफॉर्मों को अपनाया जाना

यह वित्तीय सेवा देने वाले संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे इन प्लेटफॉर्मों को अपनाने की राह में आने वाली अड़चनों को पहचानें और इस प्रक्रिया को सरल बनाते हुए, हिचकने वाले ग्राहकों के लिए इस समूचे अनुभव को अत्यधिक सहज तथा नैविगेशन को बहुत आसान बनाएं। इस सेगमेंट को जागरूक और जानकारियों से लैस करने के लिए केंद्रित प्रयास किए जाने की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय भाषा, वॉइस और बॉट्स की ताकत का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए। दूरदराज के क्षेत्रों के अधिकांश ग्राहक और वरिष्ठ नागरिक स्थानीय भाषा के आदी होते हैं। उनके लिए अपने अनुरोधों को टाइप करने बजाय डिवाइस में बोलकर बताना आसान होगा।

खुद करना कितना कारगर है, यह समझाना और इसे बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। साथ ही यह समझाना भी उतना ही मायने रखता है कि ऑनलाइन लेनदेन भी बैंक या कार्यालय में खुद जाकर किए जाने वाले लेनदेन की तरह सुरक्षित क्यों और कैसे है। हमने गौर किया है कि कुछ वित्तीय कंपनियां अपने कॉल सेंटर के कर्मचारियों को ग्राहकों का सहयोग करने और उन्हें जरूरी मदद देने के लिए प्रशिक्षित करती हैं। इसमें उनके सेवा अनुरोधों का पालन करते हुए और उनके प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्हें डिजिटल लेनदेन तकनीकों के चरणबद्ध तरीके बताना शामिल है। कई वित्तीय संस्थानों ने अपने ग्राहकों के लिए ‘व्हाट्सएप’ सेवाएं शुरू की हैं और उन्हें तत्काल सेवा प्रदान करने के लिए अपनी वेबसाइटों और मैसेंजर पर चैट बॉट लाया है।

ग्राहकों के लिए इन सेवाओं तक पहुंच बेहद आसान है और इसकी शुरुआत मोबाइल ऐप डाउनलोड करने या कंपनी के पोर्टल पर रजिस्टर करने से होती है। कुछ सेवाओं के लिए तो ग्राहकों को रजिस्टर करने और आईडी या पासवर्ड बनाने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। आमतौर पर बार-बार एक्सेस की जाने वाली ये सेवाएं बस वेबसाइट पर विजिट करने से ही उपलब्ध हो सकती हैं। ग्राहक कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पर पहुंचकर मदद मांग सकते हैं। ग्राहकों के लिए यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि इस दौरान लक्ष्य बनाकर की जाने वाली धोखाधड़ी का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए उन्हें आईडी, पासवर्ड, ओटीपी जैसी अपनी व्यक्तिगत जानकारियां अनजान और असत्यापित लोगों के साथ फोन पर साझा नहीं करनी चाहिए। बेहतर होगा कि जब भी जरूरी लगे, कंपनी से रजिस्टर्ड नंबर या वेबसाइट के जरिए संपर्क करके स्पष्ट कर लें।

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बीएफएसआई सेक्टर की डिजिटल तैयारी

डेटा, डिजिटल, मोबाइल और क्लाउड कंप्यूटिंग के विकास को देखते हुए कई बीएफएसआई कंपनियां पहले ही अपनी सेवाओं को ऑनलाइन कर चुकी हैं। जहां तक डिजिटल रूपांतरण का सवाल है, हो सकता है कि विभिन्न कंपनियां इस मामले में अपनी परिपक्वता के अलग-अलग बिंदुओं पर हों। आइए, मिसाल के तौर पर बीमा उद्योग को देखें, क्योंकि यह एक ऐसा सेक्टर है जो शुरू से अंत तक व्यक्तिगत संपर्क पर बहुत अधिक निर्भर करता है। कई बीमा कंपनियों ने सुनिश्चित किया है कि कोविड-19 के चलते हुआ लॉकडाउन ग्राहक के लिए कड़वा अनुभव न बनने पाए। बदले हुए हालात के अनुकूल कामकाजी कुशलता हासिल करने के लिए ये कंपनियां क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में स्थानांतरित हो गई हैं और अपने ग्राहकों को त्वरित सेवाएं देने के लिए इन्होंने अपने कंज्यूमर फेसिंग प्लेटफार्मों और डेटा मॉडल्स को अपग्रेड किया है। यहां तक कि प्रीमियम का भुगतान नकदी या चेक के जरिए करने की परेशानी भी अब खत्‍म हो गई है और अब यह काम मोबाइल ऐप, ऑनलाइन पेमेंट गेटवे या मोबाइल वॉलेट के माध्यम से किया जा सकता है। गैर-भौतिक वातावरण में ग्राहकों की आमद बढ़ाने के लिए बदलाव भी किए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ में हमने अग्रिम सिरे की बिक्री को पहले ही बड़ी सहजता से डिजिटल प्लेटफॉर्म में स्थानांतरित कर दिया है। एजेंट और सेल्स कर्मी अब बिक्री की पूरी प्रक्रिया से जुड़ने और उसके संचालन का काम डिजिटल रूप में कर सकते हैं। ऐसा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन जर्नी के माध्यम से किया जा सकता है, और इसमें व्यक्ति से मिलने या भौतिक रूप से दस्तावेजों को साझा करने की आवश्यकता भी नहीं होती। हालांकि, ग्राहकों की तरह ही, सेवाएं बेचने वालों को भी बिक्री के इस नए तरीके के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रशिक्षण की जरूरत होती है। परिचालन के लिहाज से, इसके लिए मौजूदा प्रक्रियाओं को फिर से डिजाइन करने या उनकी पूरी तरह से दोबारा संकल्पना करने की जरूरत होगी, ताकि वे नई वास्तविकता के अनुरूप हो सकें। ध्यान रहे, अब यह नई वास्तविकता यहीं कायम रहने वाली है!

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