depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

Britain: अविश्वास पत्र से खतरे में ऋषि सुनक की कुर्सी? कैबिनेट फेरबदल से बढ़ीं मुश्किलें

इंटरनेशनलBritain: अविश्वास पत्र से खतरे में ऋषि सुनक की कुर्सी? कैबिनेट फेरबदल...

Date:

Britain: ब्रिटेन में इन दिनों राजनीतिक घटनाक्रम काफी तेजी से बदल रहे हैं। ब्रिटेन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपनी पार्टी के निशाने पर हैं। प्रधानमंत्री सुनक ने सोमवार को कैबिनेट फेरबदल के दौरान सुएला ब्रेवरमैन को गृहमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद ब्रिटिश पीएम सुनक के खिलाफ उनकी पार्टी कंजर्वेटिव की सांसद एंड्रिया जेनकिन्स ने अविश्वास पत्र दे दिया है।
अक्तूबर 2022 में पीएम बनने के बाद यह पहली बार है जब ब्रिटेन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को अविश्वास पत्र का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह सवाल है कि पीएम ऋषि सुनक के खिलाफ अविश्वास पत्र क्यों आया? अविश्वास पत्र की अहमियत क्या है? अविश्वास पत्र प्रस्तुत करने वाली सांसद कौन हैं?

ब्रिटेन की सियासत में अभी क्या है?

सुएला ब्रेवरमैन को गृह मंत्री पद से हटाने के बाद से ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक आलोचकों के निशाने पर हैं। पीएम सुनक की पार्टी की सांसद ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू की है। दरअसल कंजर्वेटिव पार्टी की सांसद एंड्रिया जेनकिंस ने 1922 कमेटी के चेयरमैन सर ग्राहम ब्रैडी को एक पत्र लिखा। इस पत्र में सांसद ने ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री पद से हटाने की मांग की है। सांसद ने पीएम सुनक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।

सुनक पर लगाए कई गंभीर आरोप

एंड्रिया जेनकिंस ने पत्र में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। जेनकिंस ने कहा, ‘बस बहुत हो गया। हमारी पार्टी का नेता ऐसा व्यक्ति है। जिसे पार्टी के नेता खारिज कर चुके हैं और सर्वे से स्पष्ट है कि जनता उन्हें खारिज कर चुकी है। अब पीएम ऋषि सुनक के जाने का समय आ गया है।’
जेनकिंस ने कहा कि सुनक, लोकतांत्रिक रूप से चुने गए बोरिस जॉनसन को पीएम पद से हटाने वाले लोगों में शामिल थे। बोरिस जॉनसन को जिन्होंने ब्रेग्जिट कराने में अहम भूमिका निभाई और वही पार्टी को बहुमत से सत्ता में लाए थे। अब सुएला ब्रेवरमैन को पद से हटाकर ऋषि सुनक ने हद कर दी है। कैबिनेट में ब्रेवरमैन ही ऐसी व्यक्ति थीं, जो सच बोलने की हिम्मत रखती हैं। जेनकिंस ने पत्र में उम्मीद जताई कि उनकी पार्टी के अन्य सांसद उनका समर्थन करेंगे। जेनकिंस ने सोशल मीडिया पर इस पत्र को साझा किया है।

सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के लिए समर्थन घटता दिख रहा

सुनक ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल उस समय किया, जब सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के लिए समर्थन घटता दिखाई दे रहा है। दरअसल, बीते महीने सामने आए सर्वे में पता चला कि लेबर पार्टी के लिए समर्थन 44 प्रतिशत था। जबकि कंजर्वेटिव के लिए 28 प्रतिशत।
आगामी समय में प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में एक लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर की रेटिंग बढ़कर 38 प्रतिशत हो गई। ब्रिटिश समाचार पत्रों की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 90 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि ब्रिटेन को नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है। इन 90 प्रतिशत मतदाताओं में से अकेले 65 प्रतिशत कंजर्वेटिव शामिल हैं। ब्रिटेन में राष्ट्रीय चुनाव जनवरी 2025 मं होने हैं। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि सुनक अगले साल चुनाव करा सकते हैं।

मंत्रिमंडल में फेरबदल से बढ़ेंगी सुनक की मुश्किलें?

पहली बात तो अगर सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के 15 प्रतिशत सांसद ऋषि सुनक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हैं तो इससे सुनक को पीएम पद छोड़ना पड सकता है। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पार्टी के दक्षिणपंथी गुट के कई सांसद पीएम के मंत्रिमंडल में किए गए फेरबदल से नाराज हैं। सूत्र ने बताया, ‘वे वही कर रहे हैं जो पिछले दो प्रधानमंत्रियों ने किया। वे बंकर मोड में हैं और खुद पार्टी के सभी मोर्चों से घिरे हुए हैं।’

फेरबदल पर सुनक का रुख

सुनक ने कैबिनेट फेरबदल ने एक एकजुट टीम का निर्माण किया है। एक्स पर पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने एक एकजुट टीम बनाई जो देश को दीर्घकालिक रूप से आवश्यक बदलाव लाने के लिए तैयार है। पीएम ने लिखा, ‘व्यावसायिकता, ईमानदारी और अनुभव की यह ऐसी टीम है जो हमारे ब्रिटेन के लिए सही निर्णय लेने में साहसी होगी, आसान निर्णय नहीं।’

जानिए कौन हैं एंड्रिया जेंकिन्स

ऋषि सुनक पर आरोप लगाने वाली एंड्रिया जेंकिन्स 2019 से यूरोपीय अनुसंधान समूह (ईआरजी) के उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रही हैं। वह पहली बार 2015 के आम चुनाव में वेस्ट यॉर्कशायर में मॉर्ले और आउटवुड के लिए कंजर्वेटिव सांसद के रूप में चुनी गईं। जेंकिन्स इससे पहले भी अविश्वास पत्र प्रस्तुत कर चुकी हैं। जेंकिन्स ने जुलाई 2018 में मंत्री डेविड डेविस के कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री थेरेसा मे को बदलने का आह्वान किया था। उन्होंने 1922 समिति को एक औपचारिक पत्र प्रस्तुत किया था। उस समय विश्वास मत हासिल करने के लिए 48 सांसदों के पत्रों की जरूरत थी।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

खुदरा मुद्रास्फीति में स्थिरता

13 मई को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा...

देश में 62, यूपी में 56.35 प्रतिशत मतदान

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में आज 10 राज्यों...

फेडरेशन कप के गोल्ड पर नीरज चोपड़ा का कब्ज़ा

ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने फेडरेशन कप के पुरुषों...

तीसरे दिन भी बढ़त के साथ खुले बाज़ार

बुधवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स सेंसेक्स 96...