पेले कभी मर नहीं सकता

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अमित बिश्नोई
“रोइये मत, अगली बार मैं ब्राजील के लिए विश्व कप जीतूंगा”, नन्हे पेले के मुंह से निकले ये शब्द जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही पूरे हो गए. उसी प्यारे पेले को जिसने ब्राज़ील को लगातार तीन विश्व कप जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, आज उसके प्रशंसकों ने खो दिया वो इस संसार से चला गया.पेले ने एक बार अपने इंटरव्यू में बताया था कि कैसे उन्होंने 17 साल की उम्र में अपने पिता से किए गए वादे को पूरा किया जब वह केवल 9 साल के थे।

उन्होंने कहा कि 1950 के विश्व कप में ब्राजील की टीम को अपेक्षित विजेता माना जा रहा था लेकिन फाइनल में उसे उरुग्वे से हार मिली थी. एक तरफ पूरे देश में मातम छाया हुआ था और हम अपने घर में मैच की कमेंट्री सुन रहे थे कि ब्राजील टीम की हार की खबर सुनकर पापा रोने लगे. इस मौके पर मैं करीब 9 या 10 साल का था और अपने पिता को देखकर उन्हें दिलासा देने लगा, “रोइये मत, अगली बार मैं ब्राजील के लिए विश्व कप जीतूंगा”।

पेले के मुताबिक 8 साल बाद 17 साल की उम्र में भगवान ने उन्हें वो तोहफा दिया और वो वर्ल्ड कप जीतने वाली ब्राजील टीम का हिस्सा थे. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने किस भरोसे के आधार पर अपने पिता से यह वादा किया था, लेकिन वह अपना वादा पूरा करने में सफल रहे।

आज हम क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेसी की उपलब्धियों के बारे में जानते हैं लेकिन ब्राजील के दिग्गज फुटबॉलर पेले का फुटबॉल की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम है। पचास साल पहले फुटबॉल को अलविदा कहने वाले महान खिलाड़ी ‘पेले’ ने आज से आधी सदी पहले के स्टार फुटबॉलरों के सारे हुनर ​​का लोहा मनवाया है. विरोधियों को जादुई तरीके से ट्रिपल डांस कराने वाले पेले का बचपन बेहद गरीबी में बीता और चाय की दुकान पर काम करने वाला यह बच्चा अपने हुनर ​​से दुनिया में फुटबॉल आइकन बन गया.

एक समय यह स्टार फुटबॉलर जूतों की कमी के कारण केवल मोजे पर ही गुजारा करता था. 14 साल की उम्र में अपने पिता से फुटबॉल खेलना सीखा और उसी साल पेशेवर खिलाड़ी बन गया. पेले 16 साल की उम्र में लीग के शीर्ष स्कोरर बने और 1957 में ब्राजील की राष्ट्रीय टीम का हिस्सा थे। पेले 16 साल 9 महीने की उम्र में अर्जेंटीना के खिलाफ अपने पहले मैच में गोल करके ब्राजील के सबसे कम उम्र के गोल करने वाले खिलाड़ी बन गए।

पेले के निधन पर दुनिया भर के टॉप फुटबॉलर्स ने अपने संवेदनाएं प्रकट की हैं मगर आज के दौर के ब्राज़ील के स्टार खिलाड़ी नेमार की पोस्ट सबसे अलग है, शायद पेले के बारे में सबसे सटीक बात. नेमार ने अपने पोस्ट में लिखा कि पेले से पहले फुटबॉल सिर्फ एक खेल समझा जाता था. पेले ने उसे आर्ट में बदला, इंटरटेनमेंट में बदला. पेले ब्लैक लोगों के लिए एक मिसाल बने, ब्राजील को एक विजिब्लिटी दी. वह दुनिया से चले गए लेकिन उनका जादू अब भी बरकरार है. दुनिया ने पेले जैसा फुटबाल का कोई कलाकार नहीं देखा, पेले के खेल में वो जादू था जिसने नाइजीरिया में चल रहे गृह युद्ध को कुछ समय के लिए रोक दिया. आज वो महान पेले हम लोगों के बीच नहीं लेकिन जबतक फ़ुटबाल है पेले कभी मर नहीं सकता।

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