पारुल सिंघल
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र सरकार ने 11 मार्च को देश में नागरिकता संशोधन विधेयक यानी CAA (citizenship amendment act) लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।यह वही बिल है जिसे लेकर देशभर में प्रदर्शन हुए थे। बिल पारित होने के तकरीबन 4 वर्ष बाद इसे लागू किया जा रहा है। देश में सुरक्षा को देखते हुए कई संवेदनशील राज्यों में हाई अलर्ट जारी किया गया है। नागरिकता संशोधन विधेयक काफी चर्चाओं में है। ऐसे में इसे आसान भाषा में समझना बेहद जरूरी है ।बिजनेस बाइट्स आपको बता रहा है आखिर क्या है यह बिल और क्या है इसके प्रावधान।
जानिए क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA)
नागरिकता संशोधन विधेयक उन प्रवासियों पर लागू होता है जो 31 दिसंबर 2014 या इससे पहले अवैध रूप से भारत में आये थे। इस कानून के जरिए तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह अल्पसंख्यक समुदायों को भारत की नागरिकता दी जानी है। जिसमें हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाइयों को शामिल किया गया है। यह वह लोग है जिन्हें अपने देश में किसी भी धार्मिक उत्पीड़न के चलते मजबूरन भारत में शरण लेनी पड़ी पहली बार इसे 2016 में पेश किया गया था। इसका उद्देश्य 1955 की नागरिकता अधिनियम में संशोधन करना था। 8 जनवरी 2019 को यह संयुक्त संसदीय समिति के माध्यम से पारित हुआ और लोकसभा में भी पास किया गया। लेकिन 16 वीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही यह बिल भी समाप्त हो गया। इसके बाद एक बार फिर 17वीं लोकसभा में 9 दिसंबर,वर्ष 2019 को गृहमंत्री अमित शाह ने इसे फिर से पेश किया। 10 दिसंबर 2019 को यह पास हुआ और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा ने भी इस विधेयक को पास कर दिया।
कौन होते हैं अवैध अप्रवासी
अवैध प्रवासी उन लोगों को कहा जाता है जो भारत में रह रहे हैं। लेकिन, उन्हें वहां की नागरिकता प्राप्त नहीं है। यह लोग विदेशी होते हैं और भारत में बिना यात्रा दस्तावेजों के प्रवेश करते हैं। इनमें वह लोग भी शामिल है जो वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश तो करते हैं लेकिन, अपनी तय समय अवधि से अधिक समय के लिए यहां रुक जाते हैं। विदेशी अधिनियम 1946 और पासपोर्ट अधिनियम 1920 के तहत इन लोगों पर कानूनी कार्रवाई कर जेल भेजा जा सकता है। इन्हें देश से निष्कासित भी किया जा सकता है।
क्यों जरूरी है CAA
CAA भारत में रहने वाले अवैध प्रवासियों को यहां की नागरिकता प्रदान करने के लिए लागू किया गया है। इसका उद्देश्य नागरिकता अधिनियम, विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम में जरूरी बदलाव किया जाना है। इसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के अवैध प्रवासियों के लिए भारत के नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाना भी है। मौजूदा कानून अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं देते हैं। विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम इन लोगों को देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए प्रतिबंधित करता है। CAA के जरिए ऐसे लोग भी भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्हें भारत में मिलने वाली कई तरह की सुविधाओं का भी लाभ मिल सकेगा। जिससे वह अभी तक वंचित है। यह भी कहा जा रहा है कि नागरिकता मिलने के बाद उन्हें अनिश्चित जीवन नहीं जीना होगा।
ऑनलाइन होंगे पंजीकरण
नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद केंद्र सरकार के पास किसी को भी नागरिकता देने का पूरा अधिकार होगा। नागरिकता पाने के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम समुदाय के शरणार्थियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है नागरिकता पाने के लिए पहले आवेदक को ये बताना होगा कि वह किस वर्ष में भारत आए थे। यह वह वर्ष होगा जब उनके पास कोई दस्तावेज नहीं था। हालांकि कहा गया है कि इस अधिनियम के तहत किसी भी आवेदक से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा आवेदन करने के बाद गृह मंत्रालय सभी आवेदनों की सत्यता जांचेगा और इसके बाद ही आवेदक को नागरिकता जारी की जा सकेगी।
क्यों मचा है हंगामा
इस विधयेक को लेकर वर्ष 2020 में देश भर में काफी प्रदर्शन हुआ था इस दौरान देश के कई इलाकों में हिंसा भी हुई थी। जिसमें कई लोग मारे गए थे। इस विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में असंतोष व्याप्त है। उनका मानना है कि इसके तहत सरकार मुसलमानों के साथ भेदभाव कर रही है।इसमें पड़ोसी देशों के छह गैर मुस्लिम समुदायों को शामिल किया गया है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को शामिल न करने को लेकर सवाल उठाया है। वहीं उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि इस विधेयक के जरिए मुस्लिम समुदाय को कमजोर किए जाने के प्रयास सरकार कर रही है। इस विधेयक पर रोक लगाने को लेकर समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है। इस मामले में सरकार का तर्क है कि इस विधेयक के जरिए मुस्लिम बाहुल्य देश से आने वाले धार्मिक रूप से उत्पीड़न के शिकार हुए गैर मुस्लिम समुदाय को शामिल किया जा रहा है। क्योंकि यह प्रवासी मुस्लिम बाहुल्य देश से आ रहे हैं ऐसे में उन देशों में मुस्लिम कैसे प्रताड़ित हो सकते हैं।