लोकसभा चुनाव में किसी भी गठबंधन के साथ न जाकर अकेले लड़ने का फैसला करने वाली बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने आज चार सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी. ये सीटें हैं पीलीभीत, मुरादाबाद, कन्नौज और अमरोहा। दिलचस्प बात ये है कि इन सभी सीटों से मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा गया है, हालाँकि इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं है क्योंकि ये सभी सीटें मुस्लिम बाहुल्य वाली हैं. ये बात चर्चा का विषय इसलिए बनी क्योंकि मायावती ने अपने पार्टी प्रत्याशियों के नामों के एलान की शुरुआत मुस्लिम चेहरों से ही क्यों की.
मायावती ने जिन चार उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है उनमें मुरादाबाद से इरफ़ान सैफई का नाम है, पीलीभीत से अनीस अहमद को उम्मीदवार बनाया गया है, कन्नौज से अकील अहमद पट्टा को उतारा गया है और अमरोहा से डॉ मुजाहिद हुसैन का नाम घोषित किया गया है. अमरोहा से बसपा के टिकट पर मौजूदा सांसद दानिश अली हैं जिनके कांग्रेस पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ने की बाते हैं. बसपा की पहली सूची को देखते हुए साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है कि मायावती की नज़र मुस्लिम वोट पर है जिसपर समाजवादी पार्टी अपना दावा करती है.
दोनों ही पार्टियों ने 2019 में पिछले लोकसभा चुनाव गठबंधन करके लड़ा था जिसमें बहुजन समाज पार्टी को काफी फायदा मिला था, उसे मुस्लिम वोट भी काफी मिला था और सीटें भी दस पहुँच गयी थी , वहीँ समाजवादी पार्टी को कोई फायदा नहीं मिला था, उसकी पहले की तरह पांच सीटें ही आयी थीं. बाद में मायावती ने ये कहते हुए समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया था कि सपा का वोट वोट बैंक बसपा की तरफ शिफ्ट नहीं हुआ जबकि बसपा वोटर ने सपा उम्मीदवारों की मदद की, हालाँकि चुनावी नतीजों में नतीजा उल्टा ही नज़र आता है. इस बार भी इंडिया गठबंधन में मायावती को लाने का अंतिम समय तक प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं बनी, शायद अखिलेश नहीं चाहते थे कि मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल हों.